बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने हिन्दू छात्र नेताओं के साथ बैठक की है। तख्तापलट के बाद हिन्दुओं पर लगातार हो रहे हमलों के बीच उन्होंने ये कदम उठाया है। बैठक में हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर चर्चा की जाएगी। 52 जिलों में हिन्दुओं पर हमले की सवा 200 के करीब घटनाएँ हो चुकी हैं। अंतरिम सरकार ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया है। हिन्दू समूहों ने अपनी 8 सूत्रीय माँग मुहम्मद यूनुस के सामने रखी है, जिसमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाना भी शामिल है।
माँग की गई है कि पीड़ित हिन्दुओं को न्याय दिलाने के लिए फास्टट्रैक कोर्ट्स की स्थापना की जाए, हिन्दू कल्याण ट्रस्ट को अपग्रेड कर फाउंडेशन बनाया जाए, शिक्षा बोर्ड को आधुनिक बनाया जाए, शारदीय दुर्गा पूजा के दौरान 5 दिवसीय छुट्टी घोषित की जाए और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का गठन किया जाए। इससे पहले मुहम्मद यूनुस ने इन घटनाओं को घृणित करार देते हुए युवाओं से अपील की थी कि वो हिन्दू, बौद्ध और ईसाई परिवारों की सुरक्षा करें।
Thousands of Hindus will spend a second night standing patiently in chest high waters of snake and gator infested creeks at the India Bangladesh border, pleading to be let in.
Turning them back would be akin to becoming an accomplice in their rape and murder. Save them. Save us. pic.twitter.com/vufbMpN4qK
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 11, 2024
अंतरिम सरकार में गृह विभाग के सलाहकार M शखावत हुसैन ने भी माना है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में चूक हुई है और उन पर हमले हुए हैं। उन्होंने इसके लिए माफ़ी माँगते हुए कहा कि ये जिम्मेदारी सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि बहुसंख्यक मुस्लिमों की है और दोनों अपना फर्ज निभाने में नाकामयाब रहे हैं। बांग्लादेश की सरकार भले माफ़ी माँग रही हो, भारत में मोहम्मद ज़ुबैर, राना अय्यूब, RJ सायेमा और अरफ़ा खानम शेरवानी जैसे लोग मानने को तैयार ही नहीं हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हुए हैं।
बांग्लादेश में हिन्दू लगातार अपनी सुरक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही भारतीय सीमा पर भी उन्होंने पलायन किया है। उधर इस्लामी भीड़ ने 1971 का वो मेमोरियल भी तोड़ डाला, जिसमें पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेशियों पर क्रूरता करते हुए दिखाया गया है। इसी के बाद बांग्लादेश का गठन हुआ था। जिस पाकिस्तान के फौजियों ने यहाँ महिलाओं के साथ बलात्कार किया था, अब उसी पाकिस्तान के लिए बांग्लादेश के लोग मूर्तियाँ तोड़ रहे हैं।
लगातार हो रहे हैं हमले
पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रही हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू हो रहे हैं. जिनकी आस्था और बुनियाद दोनों पर ही लगातार हमले हो रहे हैं. मंदिरों को जलाया जा रहा है, घरों को लूटा जा रहा है और लोगों की जान ली जा रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बांग्लादेश में हिंदुओं की कुल कितनी आबादी है और 1971 के बाद से कितने हिंदू वहां से पलायन कर चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदुओं की कुल आबादी करीब 7.97 फीसदी है. यानी आबादी के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश की कुल आबादी 17 करोड़ के करीब है. यानी हिंदुओं की आबादी 1.35 करोड़ है. लेकिन कई इलाके ऐसे हैं जहां हिंदुओं की आबादी 10 फीसदी से ज्यादा है जबकि करीब 4 जिलो में हिंदुओं की आबादी करीब 20 फीसदी बताई जाती है.
हिंदू आबादी पर लगातार हो रहे हमले
पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति काफी खराब हुई है. जानकारी के अनुसार, 1951 में इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी करीब 22 फीसदी थी. उसके बाद से हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती गई. जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों ने हिंदुओं पर जमकर अत्याचार किया है. हिंदुओं को आर्थिक और धार्मिक स्तर पर परेशान किया गया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हुए.
बांग्लादेशी हिन्दुओं में भारी गुस्सा
शेख हसीना के इस्तीफे और संसद भंग होने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। नई सरकार की ओर से हिंसा बंद करने की कई अपील भी हो चुकी हैं लेकिन देश में अराजकता रुकने का नाम नहीं ले रही है। देश में हिन्दू बीते एक हफ्ते से लगातार हिंसा का सामना कर रहे हैं। कई जगहों पर मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आएं हैं। इसको लेकर बांग्लादेश के हिन्दुओं में गुस्सा है। चटगांव और ढाका समेत कई बड़े शहरों में हिन्दुओं ने विरोध प्रदर्शन भी किए हैं।
बांग्लादेश में प्रोफेसर मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। मोहम्मद यूनुस ने भी हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई है। पीएम पद के समकक्ष मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ लेने वाले यूनुस ने देशवासियों से हिंसा रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था पटरी पर लाना उनकी प्राथमिकता है। हालांकि अभी भी बांग्लादेश में स्थिति संभलती नहीं दिख रही है और लगातार हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं।