भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने खास नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है. वैज्ञानिकों ने इसके लिए कल ही काउंटडाउन शुरू की थी. 27.5 घंटे का काउंटडाउन सेट किया गया था. भारतीय जीएसएलवी रॉकेट की मदद से सैटेलाइट को 10.42 बजे लॉन्च किया गया. इसरो के वैज्ञानिकों ने रविवार को 7.12 बजे काउंटडाउन शुरू की थी. यह नेविगेशन सैटेलाइट सीरीजी का सेकेंड जेनरेशन रीजनल सैटेलाइट है.
खास बात यह है कि भारत रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च करने वाला पहला देश है. स्पेस में ग्लोबल नेविगेशन सेटालाइट्स की संख्या चार है. मौजूद सैटेलाइट को तमिलनाडु स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया है. नेविगेशन सैटेलाइट रियल-टाइम जियोपॉजिश्निंग और टाइमिंग सर्विसेज मुहैया कराएगा. इस सैटेलाइट को स्पेस में ले जाने वाला रॉकेट जीएसएलवी का यह 15वां स्पेस ट्रिप है. नेविगेशन सैटेलाइट को एनवीएस-01 नाम दिया गया है. इसका वजन 2,232 किलोग्राम बताया जा रहा है.
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO), launches its advanced navigation satellite GSLV-F12 and NVS-01 from Sriharikota.
(Video: ISRO) pic.twitter.com/2ylZ8giW8U
— ANI (@ANI) May 29, 2023
इसरो ने कहा कि उड़ान के लगभग 20 मिनट बाद 251 किलोमीटर की ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में सैटेलाइट को तैनात किया किया जाएगा. एनवीएस-01 के नेविगेशन पेलोड्स में एल1, एल5 और एस बैंड शामिल हैं, जिसमें पिछले अन्य सैटेलाइट्स की तुलना में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी लगाई गई है. पहले भारत को इंपोर्टेड रुबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता था, जो सटीक रूप से तारीख और समय बताता है.
GSLV-F12/NVS-01 mission is set for launch on Monday, May 29, 2023, at 10:42 hours IST from SDSC-SHAR, Sriharikota. https://t.co/bTMc1n9a1n
NVS-01 is first of the India’s second-generation NavIC satellites 🛰️ that accompany enhanced features.
Citizens can register at… pic.twitter.com/OncSJHY54O
— ISRO (@isro) May 23, 2023
जीएसएलवी इस सैटेलाइट को ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ेगा और फिर यहां से ऑनबोर्ड मोटर्स की मदद से आगे भेजा जाएगा. भारत ने स्पेस में नेविगेशन विंद इंडियन कंसल्टेशन सर्विसेज स्पेस में स्थापित कर रखा है. यह भारत का एक रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है, जो ठीक जीपीएस जैसा ही काम करता है. इसकी मदद से रियल टाइम नेविगेशन में मदद मिलती है, जो भारत और आसपास के 1500 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है.
नेविगेशन सैटेलाइट की मदद से रियल-टाइम जियोपॉजिश्निंग, नेविगेशन और समय का पता लगाया जाता है. इसका इस्तेमाल खासतौर पर सिविल एविएशन और मिलिट्री जरूरतों के हिसाब से किया जाता है. हालिया लॉन्च सैटेलाइट एल1 पेलोड से लैस है जो पॉजिश्निंग, नेविगेशन और टाइमिंग सर्विसेज मुहैया कराएगा. नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मदद टेरिस्टेरियल, एरियल और मैरिटाइम नेविगेशन का पता लगाया जा सकता है. मोबाइल फोन में लोकेशन सर्विसेज भी इसी सैटेलाइट से मिलती है.