मालदीव ने 28 द्वीपों की व्यवस्था को भारत को सौंपने का फैसला लिया है. इन 28 द्वीपों पर अब पानी सप्लाई और सीवर से जुड़ी परियोजनाओं पर काम करने और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने खुद इसका ऐलान किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और नाले से जुड़ी परियोजनाओं को आधिकारिक तौर पर सौंपे जाने के मौके पर डॉक्टर एस जयशंकर से मिलकर खुशी हुई. हमेशा मालदीव की मदद करने के लिए मैं भारत सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं.
मालदीव में लगभग 1190 द्वीप हैं, जिनमें से 200 द्वीपों पर ही आबादी है. 150 द्वीप ऐसे हैं जिन्हें पर्यटन के लिए विकसित किया गया है. अब स्थिति ये होने वाली है कि 200 में से 28 द्वीपों की व्यवस्था भारत के हाथ में आ जाएगी. पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और मालदीव और भारत के संबंधों में आए तनाव के बाद दोनों देशों में हुआ ये नया समझौता भारत विरोधियों को चुभ सकता है, लेकिन ऐसे वक्त में जब बांग्लादेश में भारत समर्थित सरकार का तख्तापलट हुआ है, ये भारत की कूटनीति के लिहाज से अच्छी खबर है.
Privileged to call on President Dr Mohamed Muizzu. Conveyed greetings of PM @NarendraModi.
Committed to deepen India-Maldives ties for the benefit of our people and the region.@MMuizzu pic.twitter.com/FSP1kqefbx
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 10, 2024
मुइज्जू ने क्यों सौंपे 28 द्वीप?
वैसे लोगों के मन में ये सवाल हो सकता है कि सिर्फ पानी और सीवर की साफ-सफाई के लिए मुइज्जू ने 28 द्वीपों की व्यवस्था भारत को क्यों सौंप दी. दरअसल, मालदीव में होटलों और रिसॉर्ट्स के लिए कूड़ा फेंकने के सख्त नियम हैं. होटलों और रिसॉर्ट्स के लिए कचरे को अलग-अलग करना अनिवार्य है. ठोस कचरे को थिलाफुशी द्वीप पर भेजा जाता है, यहां उसे गलाया जाता है. होटलों और रिसॉर्ट्स को ये सुनिश्चित करना होता है कि उनका कचरा सही तरीके से पैक और लेबल किया गया हो, ताकि वो सुरक्षित रूप से थिलाफुशी पहुंचाया जा सके.
It was a pleasure to meet @DrSJaishankar today and join him in the official handover of water and sewerage projects in 28 islands of the Maldives. I thank the Government of India, especially Prime Minister @narendramodi for always supporting the Maldives. Our enduring partnership… pic.twitter.com/fYtFb5QI6Q
— Dr Mohamed Muizzu (@MMuizzu) August 10, 2024
मालदीव में कूड़ा फेंकने के लिए मुख्य स्थान थिलाफुशी द्वीप है, जिसे अक्सर ‘गारबेज आइलैंड’ के नाम से जाना जाता है. ये द्वीप माले से करीब 7 किलोमीटर दूर है. 1990 के दशक में कचरा फेंकने के लिए इसे एक लैंडफिल के रूप में विकसित किया गया था, जिसके बाद से मालदीव के दूसरे द्वीपों से कचरा इकट्ठा करके थिलाफुशी में फेंका जाता है. कूड़े के निस्तारण के लिए भारत मालदीव को टेक्नोलॉजी और वित्तिय मदद देता है.
भारत-मालदीव की दोस्ती पर चीन की नजर
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख भागीदार है. यह भारत के पड़ोसी प्रथम नीति के केंद्र में रहा है. मालदीव भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है. मालदीव का पर्यटन भारत के सहारे ही चलता है.विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिनों की मालदीव यात्रा पर चीन की पैनी नजर थी. चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीनी विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन मालदीव के साथ बहुत खास संबंध या सहयोग की इच्छा नहीं रखता है, जबकि भारत इस इलाके में अपने प्रभुत्व के लिए चीन को एक डर के तौर पर पेश करता है. वैसे चीन के सरकारी अखबार का एस जयशंकर की यात्रा पर नजर रखना ये प्रदर्शित करता है, चीन छटपटा तो रहा है लेकिन वो भारत और मालदीव के रिश्ते खराब करने में नाकाम रहा.
वैसे कूटनीति के जानकारों के मन में ये सवाल है कि भारत पर चीन को प्राथमिकता देने वाले मुइज्जू फिर से भारत की तरफ क्यों देख रहे हैं. दरअसल राष्ट्रपति मुइज्जू को चीन से जितनी मदद की उम्मीद थी, उतनी मिल नहीं पा रही है इसलिए वो फिर भारत की तरफ देख रहे हैं.
मुइज्जू को जब मालदीव ने राष्ट्रपति के तौर पर चुना था तब वह भारत विरोधी देशों के दौरे पर गए थे. इसमें तुर्की और चीन भी था. चीन दौरे के दौरान मुइज्जू ने अपने 36 द्वीपों को चीन को सौंपने का ऐलान किया. चीन ने तब 1200 करोड़ निवेश की बात कही. चीन और मालदीव में जब ये डील हुई तब भारत को चिंता सताने लगी.
भारत को लगा है कि इन द्वीपों पर चीन का प्रभाव हुआ तो सुरक्षा हमारे लिए बड़ी चुनौती होगी. भारत ने कूटनीति के जरिए इसका तोड़ निकालना शुरू किया. विदेश मंत्री जयशंकर का मालदीव पहुंचना इसी का हिस्सा था. भारत समय-समय पर मालदीव को ये भी बताता रहा कि अगर हम तुम्हारा साथ छोड़ देंगे तो तुम डूब जाओगे. ये भारत की जीत ही है कि जिन 36 द्वीपों को चीन 1200 करोड़ में पाया था, भारत 28 द्वीपों को 923 करोड़ में पा रहा है.