प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों को स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी विभाजन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होने का आह्लवान किया है. शनिवार को वर्चुअल सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया भर में आज अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. ऐसे में इन बुनियादी मुद्दों की ओर ग्लोबल साउथ के देशों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम आपसी व्यापार, समावेशी विकास और सतत विकास लक्ष्यों को अपनी क्षमता में आगे बढ़ाने के लिए ग्लोबल साउथ के साथ काम करने को तत्पर हैं. उन्होंने बताया कि भारत सोशल इम्पैक्ट फंड में 25 मिलियन डॉलर का प्रारंभिक योगदान देगा.
ग्लोबल साउथ से एकजुटता की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज समय की मांग है कि ग्लोबल साउथ के देशों को एकजुट रहना चाहिए, एक स्वर में जरूरी मुद्दों के साथ एक साथ खड़े रहें. ये देश एक-दूसरे की ताकत बनें. हम एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें और अपनी क्षमताओं को साझा करें. उन्होंने बताया कि ग्लोबल साउथ के 12 साझेदारों के साथ इंडिया स्टैक या डिजिटल आईडी और भुगतान जैसे सामान साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
प्रधानमंत्री ने इस दौरान आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की चुनौतियों का भी विस्तार से जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि ये सभी हमारे लिए खतरा बने हुए हैं. एकजुटता से ही इनसे निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच बन गया है.
स्वास्थ्य, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि G20 के भारत के नेतृत्व में हमने ग्लोबल साउथ की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर एजेंडा बनाया है. भारत ने विकासोन्मुखी दृष्टिकोण से G20 को आगे बढ़ाया है. ग्लोबल साउथ की ताकत उसकी एकता में है. इसी एकता के बल पर हम नयी दिशा की ओर बढ़ेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया अब भी पूरी तरह से कोविड-19 के प्रभाव से बाहर नहीं आई है. दूसरी ओर युद्धों ने हमारी विकास यात्रा को बुरी तरह से प्रभावित किया है और चुनौतियां पैदा कर दी है. उन्होंने कहा कि आज हम न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं.