प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण एशियाई देश ब्रुनेई की यात्रा पर हैं. यह दौरा ऐसे समय पर है जब भारत और ब्रुनेई दोनों अपने कूटनीतिक सम्बंधों की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. ब्रुनेई उन देशोंं में शामिल है जहां भारतीय इतिहास रच रहे हैं. यहां ज्यादातर भारतीय मेडिकल, टीचिंग और एनर्जी सेक्टर से जुड़े हैं. भारतीय उच्चायोग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, यहां 14,500 भारतीय काम करते हैं. इसमें टीचर्स और डॉक्टर्स की संख्या ज्यादा है.
ब्रुनेई दारुस्सलाम में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय रह रहे हैं. भारतीयों का यहां आना और काम करना, यह चलन कोई नया नहीं है. इसकी शुरुआत 1930 के दशक से हुई थी. इसके बाद प्रवासी भारतीयों ने यहां काम किया और अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान दिया. ब्रुनेई भी उनके योगदान को मानता है और कई ऐसे मौके भी आए जब सरकार ने उन्हें सम्मान देकर मुहर भी लगाई.
ब्रुनेई में कहां-कहां भारतीय लहरा रहे पचरम?
हाई कमीशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है, शिक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, निर्माण, व्यापार, खुदरा क्षेत्र के भारतीय प्रोफेशनल्स ने अपना नाम कमाया है. यहां करीब 50 फीसदी भारतीय तेल, गैस, निर्माण और खुदरा क्षेत्र में काम कर रहे हैं. ब्रुनेई में मोहिंदर सिंह पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें यहां प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया. उन्हें 2010 में यह सम्मान दिया गया. बाद में वो ब्रुनेई के नागरिक बन गए. ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय नागरिकों को अनगिनत रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार दिया जाता है. वहीं, ब्रुनेई दारुस्सलाम के एक भारतीय व्यवसायी नजीर अहमद जकारिया को सामुदायिक सेवा और व्यापार क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए 2016 में यह सम्मान दिया गया. इसके अलावा मशहूर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अलेक्जेंडर मालियाकेल जॉन को मेडिकल सेक्टर में असाधारण योगदान के लिए 2023 में तीसरा प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला.
ब्रुनेई दारुस्सलाम में पांच प्रमुख भारतीय संघ भी बनाए गए हैं. इनमें बंदर सेरी बेगावान इंडियन एसोसिएशन (बीएसबीआईए); इंडियन एसोसिएशन बेलाइट (आईएबी), मलयाली एसोसिएशन (एमए), तेलुगु एसोसिएशन (टीए) और सिख एसोसिएशन शामिल हैं. इसके अलावा इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स और ब्रुनेई-इंडिया फ्रेंडशिप एसोसिएशन (बीआईएफए) भी रजिस्टर्ड संस्थाएं हैं. भारतीय संघ मिलकर यहां भारतीय त्योहार मनाते हैं. दिवाली, पोंगल, ओणम और साथ ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भी यहां जश्न का माहौल रहता है.
भारत और ब्रुनेई की दोस्ती
साल 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह यहां आसियान सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे, लेकिन पीएम मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए ब्रुनेई जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. भारत और ब्रुनेई के सम्बंध कितने मजबूत हैं, दोनों देशों के बीच होने वाला ट्रेड इसकी पुष्टि करता है.
भारत ब्रुनेई से कई चीजें आयात करता है. इसमें क्रूड ऑयल, हाइड्रोकार्बन, आयरन, स्टील, मेटल, आइसोटोप, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर्स, व्हीकल शामिल है. वहीं, ब्रुनेई भी भारत से आयात में पीछे नहीं है. यह देश भारत से डेयरी प्रोडक्ट, फल, नट्स, अनाज,तेल, कॉस्मेटिक्स, डेयरी प्रोडक्ट और एल्युमिनियम खरीदता है.
पीएम मोदी सरकार ने लुक ईस्ट पॉलिसी बनाकर बकायदा आसियान और पूर्वी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है. उनकी ब्रुनेई यात्रा इसी का हिस्सा है. भारत के संबंध उसकी एनर्जी सिक्योरिटी के लिए काफी अहम हैं.
पीएम मोदी ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बेगवान पहुंचकर यहां के सुल्तान हसनल बोल्किया से मुलाकात करेंगे. सुल्तान की पहचान दुनिया में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले और सबसे अमीर शासकों के रूप में की जाती है. इस यात्रा के दौरान कई व्यापारिक और रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.