राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस चार्जशीट से पता चला है कि कैफे में ब्लास्ट करने वाले आतंकी भाजपा दफ्तर पर भी हमले का प्रयास कर चुके थे। यह हमला बेंगलुरु में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन होना था।
NIA ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की जानकारी एक प्रेस रिलीज के जरिए दी है। NIA ने इस मामले में 4 लोगों को आरोपित बनाया है। इन आतंकियों के नाम मुस्सविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मतीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ हैं। NIA ने इनके ऊपर UAPA और IPC की कई धाराएँ लगाई हैं।
NIA Chargesheets 4 in Rameshwaram Cafe Blast Case pic.twitter.com/H8dBPMwdsx
— NIA India (@NIA_India) September 9, 2024
NIA ने बताया है कि शाजिब ने ही रामेश्वरम कैफे में बम रखा था वहीं अब्दुल ताहा ने उसकी सहायता की थी। यह दोनों कर्नाटक के ही शिवमोगा के रहने वाले हैं। यह दोनों 2020 में अल हिन्द मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद से फरार थे। इन दोनों को पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया था।
यह दोनों आतंकी फर्जी सिम, फर्जी खाते और नकली पहचान का इस्तेमाल कर रहे थे। यह इन्हें डार्क वेब से मिलती थी। इसके अलावा यह अपने आंतकी मिशन को अंजाम देने के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करते थे। यह करेंसी इन्हें इनके हैंडलर देते थे।
दोनों इस क्रिप्टोकरेंसी को टेलीग्राम के जरिए सामान्य पैसे में बदलते थे और फिर इसके जरिए आतंकी साजिश को अंजाम देते थे। 1 मार्च, 2024 को रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट से पहले इन दोनों ने 22 जनवरी, 2024 को बेंगलुरु के भाजपा कार्यालय को उड़ाने की साजिश भी रची थी।
इन दोनों का प्लान था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन भाजपा कार्यालय को उड़ा दिया जाए। यह काम एक IED हमले से होने था। हालाँकि, दोनों इसमें कामयाब नहीं हो पाए। इसके बाद इन्होने रामेश्वरम कैफे पर हमले की प्लानिंग की और यहाँ बम ब्लास्ट किया।
NIA ने बताया कि यह दोंनो इस्लामी आतंकी संतन ISIS के सदस्य हैं और यह सीरिया भी जाना चाहते थे। यह दोनों कई मुस्लिमों को आतंकी संगठन में भर्ती करने का काम कर रहे थे। इनके अलावा जो 2 मुस्लिम युवक इस मामले में आरोपित हैं, उन्हें इन दोनों ने ही आतंक में शामिल किया था।
गौरतलब है कि 1 मार्च, 2024 को बेंगलुरु के प्रसिद्ध रामेश्वरम कैफे में एक बम धमाका हुआ था। इस धमाके में 9 लोग घायल हो गए थे। इस मामले की जाँच कुछ समय बाद NIA के पास आ गई थी। NIA ने इसकी कड़ियाँ जोड़ते हुए हमलावरों को पहचनाने में सफलता हासिल की थी।
NIA की यह तलाश कई दिन तक जारी रही थी। इसके बाद 12 अप्रैल, 2024 को पश्चिम बंगाल के दीघा से पकड़ा था। यहाँ दोनों फर्जी पहचान के आधार पर रह रहे थे। इससे पहले यह फर्जी पहचान के लिए हिन्दू नामों तक का इस्तेमाल कर रहे थे। इन्हें गिरफ्तार करने के बाद एजेंसी ने पूरे मामले का खुलासा किया था और अब चार्जशीट दाखिल की है।