साल 2013 में पटना के गाँधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट के 4 दोषियों को पटना हाईकोर्ट ने फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। निचली अदालत ने 4 को फाँसी की सजा और 2 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालाँकि, पटना हाई कोर्ट ने सभी 6 दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है।
सजा को बदलते हुए कोर्ट ने कहा कि इनकी उम्र कम है और इन्हें भी जीने का अधिकार है। इसलिए फाँसी की सजा नहीं दी गई। NIA की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर मनोज कुमार सिंह ने कहा, “ये बहुत अच्छा फैसला है। कोर्ट ने आरोपियों की उम्र को देखते हुए फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदला है। सभी आरोपितों की उम्र कम है। हम लोगों ने घटना की गंभीरता को लेकर दलील दी थी।”
जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ फैसले के बाद नुमान अंसारी, मोहम्मद मजीबुल्ला, हैदर अली और इम्तियाज आलम को अब फाँसी नहीं होगी। वहीं, उमैर सिद्दकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास को यथावत रखा है। बचाव पक्ष के वकील इमरान गनी ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएँगे।
पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 9 लोगों को सजा सुनाई गई थी। इनमें से चार लोगों को फाँसी की सजा दी गई थी और बाकियों को उम्रकैद। पटना हाई कोर्ट द्वारा फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के बाद अब आरोपितों को 30 साल जेल में बिताना होगा।
जिस दिन यह घटना हुई थी, उस दिन गाँधी मैदान में पीएम मोदी की रैली थी। उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के साथ जनसभा में भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। इसी दौरान पहला धमाका पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 के सुलभ शौचालय के पास हुआ था। इसके बाद गाँधी मैदान और उसके आस-पास 6 जगहों पर बम धमाके हुए।
इन बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हुए थे। धमाके के बाद पटना के गाँधी मैदान थाने में मामला दर्ज कराया गया था। तब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से NIA जाँच की बात कही थी। इसके बाद 31 अक्टूबर 2013 को एनआईए ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया था।
साल 2014 में NIA ने आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में 187 लोगों ने कोर्ट में गवाही दी थी। पटना की निचली अदालत ने द्वारा फाँसी की सजा सुनाने के बाद आरोपितों ने इसके खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की थी। आखिरकार इनकी फाँसी को उम्रकैद में बदल दिया गया।