सुप्रीम कोर्ट ने गणपति विसर्जन में ढोल-ताशे की संख्या पर सीमा लगाने वाले करने वाले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के एक आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश पुणे शहर के लिए दिया गया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने NGT का यह निर्णय रोका है।
गुरुवार (12 सितम्बर, 2022) को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार, पुणे अधिकारियों, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) समेत अन्य को इस मामले में नोटिस भी जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “इनको अपना ढोल-ताशा बजाने दीजिए, यह पुणे का दिल है।” NGT ने इससे पहले प्रत्येक गणेश पंडाल के आसपास ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया था। इसके साथ ही उसने ढोल-ताशा-जंज बजाने वाले ग्रुप की संख्या को 30 लोगों तक सीमित करने का आदेश दिया था।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अमित पई ने कहा कि पुणे में गणपति विसर्जन में ‘ढोल ताशा’ का बहुत गहरा सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को गणेश चतुर्थी समारोह के दौरान ध्वनि प्रदूषण को सीमित करने के NGT के बाकी निर्देशों से कोई समस्या नहीं है लेकिन वह ढोल ताशों का की संख्या घटाने के खिलाफ हैं।
CJI की बेंच ने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी कर दीजिए। बेंच ने कहा कि पई ने इस मामले में बताया है कि यदि इसे आगे बढ़ाया तो NGT का निर्देश नम्बर 4 लागू हो जाएगा और ढोल ताशे नहीं बज पाएँगे। CJI ने कहा कि ढोल ताशा बजाने दीजिए क्योंकि यह पुणे का दिल है।
गौरतलब है कि NGT ने 30 अगस्त को आदेश दिया था कि 7 सितंबर से शुरू होने वाले 10 दिवसीय गणेशोत्सव के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए गणेश पंडालों की निगरानी की जाए। इसके अलावा NGT ने विसर्जन जुलूसों को लेकर भी कुछ निर्देश दिए थे।
NGT ने पंडाल में 100 वाट की क्षमता से अधिक लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा विसर्जन जुलूस के दौरान टोल और डीजे सेट के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही NGT ने ढोल ताशा वाले समूह की संख्या घटा कर 30 कर दी थी।