हलफनामा मुख्य न्यायधीश सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष दायर किया गया है। हलफनामे में बताया गया है कि झारखंड में वनवासी जनसंख्या में कमी आ रही है। जिसका मुख्य कारण वनवासियों का योजनाबद्ध तरीके से दूसरे धर्मों में कन्वर्जन है।
भारत बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। जिसमें नदी, नाले, पहाड़ों की वजह से घुसपैठ करना आसान हो जाता है। साहिबगंज और पाकुड़ क्षेत्र बंग्लादेश से सटे हुए हैं। जिससे स्थानीय और घुसपैठियों की बोली एक जैसी होने के कारण घुसपैठिये यहाँ आसानी से घुस जाते हैं। इन क्षेत्रों में मदरसों की संख्या में भी पहले से बढ़ोत्तरी देखी गयी है। यह भी आरोप लगाया गया है कि ‘दानपात्र’ के नाम पर वनवासियों की जमीन को अप्रवासी मुसलमानों को हस्तांतरित किया जा रहा है।
हलफनामे के अनुसार संथाल में भी कन्वर्जन के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे वनवासी जनसंख्या में कमी दर्ज की गई है। 1951 में संथाल परगना में कुल जनजातीय आबादी 44.67 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 9.43 प्रतिशत और 0.18 प्रतिशत ईसाई आबादी थी। हालाकि 2011 में इसमें बड़ा बदलाब देखने को मिला है। जनजातीय आबादी 28.11 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 22.73 प्रतिशत और 4.21 प्रतिशत ईसाई आबादी हो गई।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि अवैध अप्रवासी खुद को स्थानीय निवासी साबित करने के लिए झूठे दस्तावेजों का प्रयोग कर रहै है। क्षेत्र में जमीने भी खरीद रहें है।केन्द्र सरकार ने अप्रवासियों की इस घुसपैठ को बड़ा खतरा बताया है।