सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश देते हुए पूरे देश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में ये निर्देश दिया गया है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने ये निर्देश दिया है।
इन मामलों में कार्रवाई की छूट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक देश भर में तोड़फोड़ पर रोक रहेगी। हालांकि, ये आदेश पब्लिक रोड, गली, वाटर बॉडी, फुटपाथ, रेलवे लाइन आदि पर अवैध कब्जों पर लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में बुलडोजर न्याय का महिमामंडन और दिखावे को इजाजत नहीं दी जा सकती।
Supreme Court directs that no demolition of property anywhere in India will take place without permission of the Court till October 1, the next date of hearing but clarifies that this order will not be applicable to any unauthorised construction on public roads, footpaths, among… pic.twitter.com/kdZKpkM0Ue
— ANI (@ANI) September 17, 2024
कोर्ट में क्या दी गई दलील
सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा कि डिमोलिशन की कार्रवाई जहां हुई है, वो क़ानूनी प्रकिया का पालन करके हुई है। एक समुदाय विशेष को टारगेट करने का आरोप ग़लत है। गलत नरेटिव फैलाया जा रहा है। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि कोर्ट के बाहर जो बातें हो रही है, वो हमें प्रभावित नहीं करती। हम इस बहस में नहीं जाएंगे कि किसी खास समुदाय को टारगेट किया जा रहा है या नहीं। अगर गैरकानूनी डिमोलिशन का एक भी मसला है तो वो संविधान की भावना के खिलाफ है।
हम नैरेटिव से प्रभावित नहीं हो रहे- सुप्रीम कोर्ट
वहीं, सुनवाई में जस्टिस गवई ने कहा कि नैरेटिव से हम प्रभावित नहीं हो रहे। हम ये साफ कर चुके है कि हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं है। लेकिन एग्जीक्यूटिव जज नहीं बन सकते है। ज़रूरत है कि डिमोलिशन की प्रकिया स्ट्रीमलाइन हो। इसके बाद जस्टिस बीआर गवई ने आदेश में लिखवाया कि सड़कों, गलियों, फुटपाथ या सार्वजनिक जगहों पर किए अवैध निर्माण को समुचित प्रक्रिया के साथ ढहाने की छूट रहेगी।