भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस लोकतंत्र देश का सबसे सशक्त स्थल है लोकतंत्र का मंदिर कहलाने वाला इसका संसद भवन। जहां भारत के जन-जन की आकांक्षाओं और भविष्य की दिशा भी तय होती है। पीएम मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है। जिसके लिए भव्य तरीके से इस नई संसद को सजाया गया था। इसके उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने सेंगोल को भी लोकसभा में स्थापित किया। वैदिक मंत्र उच्चारणों के बीच इस सेंगोल को लोकसभा स्पीकर के कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया है।
इस पवित्र सेंगोल को स्थापित करने के लिए तमिलनाडु से आदिनम संतों को बुलाया गया था जिन्होंने पूरे विधि-विधान से सेंगोल को स्थापित कराया। इन आदिनम संतों के सामने पीएम मोदी नतमस्तक हुए तो आइए जानते हैं कौन हैं ये आदिनम संत जिन्होंने नई संसद भवन में कराई सेंगोल की स्थापना।
- आदिनम संस्कृत के शब्द आधिपति से लिया गया है। जिसका मतलब होता है भगवान या मालिक। दक्षिण में इनका नेतृत्व आमतौर पर ब्राह्मण करते हैं। लेकिन कुछ आदिनम ऐसे भी होते हैं जिनके गुरु गैर-ब्राह्मण भी होते हैं। थिरुवदुथुरै आदिनम का नेतृत्व एक वैष्णव संत करते हैं जो ब्राह्मण नहीं हैं।
- दक्षिणभारत में ऐसे कई मठ हैं जिनका नेतृत्व ऐसे ही आचार्य या स्वामी हो करते हैं। अधीनम हिंदू धर्म के एक विशेष संप्रदाय से जुड़े होते हैं, जैसे शैववाद या वैष्णववाद। उनके पास बड़ी संख्या में समर्थक होते हैं जो वे हिंदू संस्कृति और परंपरा का विस्तार करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- दक्षिण भारत में ये अधीनम हिन्दू धर्म औार संस्कृति का अहम हिस्सा होते हैं। जो इसका प्रसार करते हैं। इतना ही नहीं, वे हिंदू धर्म के अध्ययन और अभ्यास के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
आदिनम संतों का महत्व?
- हिन्दू धर्म में हमेशा से ही आदिनम का महत्व रहा है क्योंकि इनके जरिए ही दक्षिण में हिन्दू धर्म और संस्कृति का प्रचार किया गया और धार्मिक दायरे को बढ़ाया गया। लेकिन स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थाओं की शुरुआत के बाद से यहां पर धर्म की शिक्षा लेने वालों की तादात में कमी आई।
- समय के साथ दायरा घटने के बाद भी दक्षिण में आदिनम ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और धर्म का प्रचार किया। इतना ही नहीं, इन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की हमेशा मदद की।
- यूं तो दक्षिण में कई तरह के अधीनम हैं, लेकिन कुछ सबसे ज्यादा चर्चित रहे हैं। जैसे- मदुरै अधीनम। इन्हें दक्षिण भारत का सबसे पुराना आदिनम कहा जाता है। इनके मठ मदुरै में हैं। ये शैव सम्पदाय से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा थिरुवदुतुरई अधीनम है, जो हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ स्कॉलरशिप देने के लिए भी जाने जाते हैं। वहीं, धर्मापुरम अधीनम है जो तमिलनाडु के मयिलाडुतुरै में है। ये सामाजिक कार्य और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ा है।