उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जबरन धर्मांतरण से जुड़ा एक संगीन मामला सामने आया है, जिसमें मोदीनगर इलाके से चार आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें एक LLB छात्र भी शामिल है। इन आरोपितों ने अब तक सौ से अधिक लोगों का धर्मांतरण करवाया है, जिसमें वे लोगों को लालच, दबाव, और डर के आधार पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करते थे। इससे पहले, इसी प्रकार की घटना नंदग्राम में भी सामने आई थी, जहाँ एक अन्य गिरोह ने लोगों को धर्मांतरण के लिए फुसलाया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदीनगर पुलिस ने इस मामले में चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनमें आशु, पोलूस मसीह, पास्टर रासी बालियार, और छट्ठू कुमार शाह शामिल हैं। आशु, जो कि एक LLB का छात्र है, पर अपनी चाची संगीता पर जबरन धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप है। आशु अपनी चाची और उनके पति पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डाल रहा था, और बीमारी के इलाज और अन्य सुविधाओं का लालच देकर उन्हें कन्वर्ट करने की कोशिश कर रहा था।
पुलिस ने जब इस मामले की जाँच की, तो आरोप सही पाए गए और आरोपितों की गिरफ्तारी की गई। यह भी पता चला कि इस मामले में दिल्ली से फंडिंग की जा रही थी। पोलूस मसीह को दिल्ली के एक संगठन से हर महीने 3,000 रुपये की फंडिंग मिलती थी, और उसे धर्म के प्रचार के लिए अलग से पैसे भी दिए जाते थे।
गिरफ्तार आरोपितों ने कबूल किया कि वे अब तक सौ से अधिक लोगों का धर्मांतरण करवा चुके हैं। विशेषकर बीमारी से पीड़ित लोग और युवा, जिन्हें नौकरी और शादी का लालच दिया जाता था, उनके निशाने पर थे। इस गिरोह के तार दिल्ली के अलावा गौतमबुद्ध नगर और अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए हैं।
नंदग्राम के सेवानगर में पहले सामने आई घटना में भी यही पैटर्न देखा गया था, जहाँ इंग्राहम स्कूल के पीटीआई और पादरी को गिरफ्तार किया गया था। उस मामले में भी सैकड़ों लोगों का धर्मांतरण करने की बात सामने आई थी, और पुलिस ने इस गिरोह के संबंध मुंबई और केरल से होने की आशंका जताई थी।
धर्मांतरण के इन मामलों की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। डीसीपी देहात सुरेंद्रनाथ तिवारी के अनुसार, नंदग्राम और मोदीनगर दोनों ही मामलों की जांच के लिए अलग-अलग एसआईटी बनाई गई हैं, जो डीसीपी के तहत काम करेंगी। पुलिस अब आरोपितों के बैंक खातों, मोबाइल डेटा और विदेशी फंडिंग के बारे में भी जानकारी जुटा रही है। इसके अलावा, जिन लोगों का धर्मांतरण करवाया गया है, उनकी भी जानकारी एकत्र की जा रही है।
चारों आरोपितों की गिरफ्तारी से पहले ऑपइंडिया ने इस मामले पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उस रिपोर्ट में में पीड़िता संगीता ने अपने ससुराल वालों पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। संगीता ने बताया कि उसके जेठ के बेटे आशु ने अपने परिवार के साथ ईसाई धर्म अपना लिया था और अब वह उसी पर भी धर्मांतरण का दबाव बना रहा था। जब संगीता और उसके पति ने इसका विरोध किया, तो उन पर मारपीट और धमकी दी गई। ऑपइंडिया ने इस रिपोर्ट में खासतौर पर बताया था कि संगीता के ससुराल वाले ईसाई पादरियों को बुलाकर उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर कर रहे थे। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस ने कार्रवाई की और चारों को गिरफ्तार कर लिया।
गाजियाबाद में धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पहले नंदग्राम और अब मोदीनगर में पुलिस को बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के सबूत मिले हैं। इन घटनाओं में आरोपितों ने लोगों को डर, लालच, और भ्रम के आधार पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया। पुलिस की जाँच में यह भी पता चला है कि इस तरह के गिरोह विदेशी फंडिंग के जरिए चलाए जा रहे हैं, और इन्हें दिल्ली, मुंबई, और अन्य राज्यों से समर्थन मिल रहा है। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह न केवल गाजियाबाद में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं और इनके तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं।