पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस पार्टी को मणिपुर से आगे आने की जरूरत है. यह एक संवेदनशील क्षेत्र है और हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए और मणिपुर में आग भड़काना बंद करना चाहिए. प्रधानमंत्री इस मामले में बहुत संवेदनशील हैं. केंद्र सरकार वहां पर स्थिति में सुधार का प्रयास कर रही है.
कांग्रेस पर आतंकवाद के मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि मैं कांग्रेस से पूछना चाहूंगा कि क्या वह प्रधानमंत्री के आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता के सवाल पर सहमत हैं या नहीं, क्या वह प्रधानमंत्री के रुख का समर्थन करते हैं. कांग्रेस को अनुच्छेद 370 पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. जब बात शंकर प्रसाद ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस पार्टी को मणिपुर से आगे आने की जरूरत है. यह एक संवेदनशील क्षेत्र है और हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है.की आती है, तो कांग्रेस चुप हो जाती है, लेकिन मणिपुर पर शोर करती है.
#WATCH | Delhi: BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "Congress party needs to come out beyond Manipur. It is a sensitive area and all of us need to work together…Congress party should stop stoking fire in the cauldron of Manipur…Do they support the stand of the Prime Minister as… pic.twitter.com/B2hKU3wYie
— ANI (@ANI) October 1, 2024
कांग्रेस सांसद ने सवाल उठाए थे
बीते सप्ताह कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोईजाम ने मणिपुर में चल रहे संकट के बीच केंद्र की “निष्क्रियता” पर सवाल उठाए थे और पूछा था कि सरकार पूर्वोत्तर राज्य को अफगानिस्तान जैसा क्यों बनने दे रही है. कांग्रेस सांसद ने मणिपुर की तुलना “बनाना रिपब्लिक” से की थी.
अकोईजाम ने मणिपुर में स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी ऐसी स्थिति होती, तो इस पर ध्यान नहीं दिया जाता.
2022 से चल रही है हिंसा
मणिपुर में जातीय हिंसा 2022 से चल रही है. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था, इसके विरोध में कुकी समुदाय ने भी मार्च निकाला, जिससे हिंसा भड़क गई. तब से अब तक हिंसा में 220 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें कुकी और मीतेई समुदायों के सदस्य और सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं.