भारतीय सेना ने सियाचित में सर्च ऑपरेशन के दौरान 56 साल पहले विमान दुर्घटना में गायब हुए वायुसैनिक का शव खोज निकाला है। 22 जनवरी 1968 को रोहतांग दर्रे के पास 102 सैनिकों को लेकर जा रहा प्लेन क्रैश हो गया था। अब सेना ने सहारनपुर के लापता वायुसैनिक मलखान सिंह के घर पर उनके शव अवशेष मिलने की सूचना भिजवाई है। खबर मिलते ही परिवार के कई दशक पहले घाव फिर ताजा हो गए हैं। पूरा जिला मलखान के शव के गांव पहुंचने इंतजार कर रहा है।
सहारनपुर के गांव फतेहपुर में 18 जनवरी 1945 को जन्मे मलखान सिंह भारतीय वायुसेना में तैनात थे। जिस वक्त प्लेन क्रेस होने के बाद वह लापता हुए थे, तब उनकी उम्र 23 साल थी। सेना के विशेष अभियान में मलखान का शव सियाचिन के एक हिस्से से बरामद हुआ है। आर्मी के जवान थाना ननौता पुलिस के साथ मंगलवार को मलखान सिंह के घर पहुंचे और उनका शव मिलने की जानकारी दी। शव के पास से मिले बैच नंबर से उनकी पहचान संभव हुई।
परिवार ने अभी तक रोककर रखा था मलखान सिंह का तर्पण संस्कार
वायुसेना में शामिल मलखान सिंह के परिवार को जिस दिन की प्रतीक्षा थी, वह समय मंगलवार को पूरा तो हुआ मगर 56 साल में सब कुछ बदल गया। परिवार के कई सदस्य इसी इंतजार में दुनिया छोड़ गए कि मलखान सिंह के बारे में कभी तो कोई सूचना मिलेगी। हालांकि किसी ने भी उनको अब तक मृत नहीं माना था। यही वजह थी कि पितृ पक्ष में उनको लेकर संस्कार तर्पण संस्कार नहीं किए जाते थे। परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि मलखान सिंह वायु सेना के उसी प्लेन में सवार थे, जो साढ़े पांच दशक पहले सियाचिन में क्रैश हो गया था। मनहूस हादसे की खबर घर पहुंची तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मलखान की जल्दी ही शीलावती की शादी हुई थी। हादसे में मलखान के लापता होने के बाद जब काफी समय उनके बारे में कोई खबर नहीं मिली तो परिवार एवं समाज ने शीलावती की दूसरी शादी मलखान के छोटे भाई से करा दी थी। इसी का नियति का फैसला मानकर शीलावती ने दूसरी जिंदगी शुरू की।
अब 56 साल बाद अचानक जब मलखान सिंह का सियाचिन में शव मिलने की सूचना घर आई, तो उसे सुनने को पत्नी इस दुनिया में नहीं थी। शीलावती और उनके बेटे रामप्रसाद की पहले ही मौत हो चुकी है। मलखान सिंह का सबसे छोटे भाई ईशम सिंह ने बातचीत में कहा कि शव पहले मिला होता तो उनकी पत्नी और बेटे के हाथों अंतिम संस्कार होता। दादा का अंतिम संस्कार अब पौत्र मनीष के हाथों होगा। शहीद मलखान सिंह के दो पौत्र मनीष और गौतम हैं, जो दोनों में रहकर टेंपो चलाते हैं। मलखान सिंह चार भाई सुलतान सिंह, फिर चंद्रपाल सिंह और ईशमपाल सिंह में सबसे बड़े थे। प्लेन क्रैश में लापता होने होने के बाद पत्नी का विवाह छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से कराया गया था। तब उनके बेटे की उम्र महज डेढ़ वर्ष थी। चंद्रपाल ने ही उनकी पत्नी व बेटे की देखभाल की। बड़ा होकर बेटे ने रामप्रसाद गांव में ही सिलाई का किाम संभाला था।
56 साल… 4 शव और लंबा इंतजार
नानौता के गांव फतेहपुर निवासी वायु सैना में तैनात जवान मल्खान सिंह देश की रक्षा करते हुए 7 फरवरी 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पास में शहीद हो गए थे. अटल सरकार के कार्यकाल से 2003 में सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और 2019 तक 5 शव बरामद किए. अभी हाल ही में कुछ समय पहले सेना को 4 शव और मिले तो एक फौजी की पहचान नानौता थाने के ग्राम फतेहपुर निवासी मलखान सिंह के रूप में होना बताई गई. मल्खान सिंह शादीशुदा थे और उनके एक बेटा रामप्रसाद था जिसकी मौत हो चुकी है. उनके पोते गौतम और मनीष मजदूरी करते हैं. सोमवार को जब यह खबर सेना के सूत्रों से परिवार के लोगों और ग्रामीणों को मिली तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया. साथ ही इस बात का संतोष भी हुआ की जिस मल्खान सिंह के शव को ढूंढने में 56 साल लग गए आखिरकार उनके शव को ढूंढ लिया गया और अब परिजन पितृपक्ष में अपने पितृ को सच्ची मुक्ति दे पाएंगे.
कब पहुंचेगा पार्थिव शरीर
बताया जा रहा है की शहीद मल्खान सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद कल यानी 2 अक्टूबर या फिर 3 अक्टूबर को फतेहपुर गांव में पहुंचेगा. उनके छोटे भाई ईसम पाल ने जानकारी देते हुए बताया कि परिजनों ही मल्खान सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा. जिस पल परिवार को मल्खान के पार्थिव शरीर की घर वापसी की जानकारी मिली तो हर कोई स्तब्ध रह गया. वो बच्चे जो अपने दादा-परदादा की कहानी सुनकर बड़े हुए उन्हें अब उनके दर्शन करने और आखिरी सफर में शामिल होने का मौका मिलेगा.
सही मायने में मिलेगा तर्पण
आज जैसे ही मल्खान के पोते और बाकी परिजनों को ये पता चला की मल्खान सिंह का पार्थिव शव बरामद हो गया है तो वो ना खुश हो सके और ना गमगीन हो सके, लेकिन परिवार के लोगों को इस बात की संतोष है की कम से कम उन्हें अपने बहादुर दादा शहीद मल्खान सिंह का अंतिम संस्कार करने का मौका मिलेगा. मल्खान सिंह के पोते बताते हैं की एक सर्च ऑपरेशन के दौरान रेस्क्यू टीम को बर्फीली घाटियों में चार शव मिले जिसमें से एक शव के साथ मिली कमर बेल्ट पर मलखान सिंह का नंबर और नाम मिला जिससे उनकी पहचान हुई.
गौतम का कहना है की सेना के नियम के अनुसार आगे की कार्रवाई चल रही है और अगले एक दो दीन तक मलखान सिंह का शव उनके गांव पहुंचेगा जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. इस बात का केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि मल्खान के परिवार को कैसा लग रहा होगा. वो आंखें जो मल्खान की याद में आसुओं के साथ तड़पकर बंद हो गईं… आज कहीं ना कहीं उनको भी सही मायने में तर्पण मिलेगा.