तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद को लेकर हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस विवाद में आरोप लगाया गया था कि मंदिर के प्रसाद, विशेष रूप से लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए घी में मिलावट की गई थी। आरोपों के अनुसार, इसमें जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब आस्था और विश्वास से जुड़े इस मुद्दे ने राजनीतिक रूप ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है। अगर आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई है, तो यह अस्वीकार्य होगा। कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार की एसआईटी इस मामले की जांच नहीं करेगी। इसके बजाय, एक नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की जाएगी, जो मामले की नए सिरे से जांच करेगी।
इस एसआईटी में सीबीआई के दो अधिकारी, राज्य सरकार के दो अधिकारी और एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) का एक अधिकारी शामिल होगा। यह पांच सदस्यीय टीम इस मुद्दे की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करेगी ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी के नेतृत्व में यह टीम काम करेगी। इससे लोगों का विश्वास बढ़ेगा और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
राजनीति से आस्था को दूर रखने की अपील
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि करोड़ों लोगों की आस्था पर राजनीति नहीं हावी होनी चाहिए। देवताओं और धार्मिक परंपराओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने टिप्पणी की कि अगर प्रसाद के घी में मिलावट के आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह गंभीर मामला है। उन्होंने कहा, “हमने अखबारों में पढ़ा है कि राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा है कि जांच से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसे आरोप-प्रत्यारोप में कोई दिलचस्पी नहीं है, और अदालत को राजनीतिक कारणों से इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
क्या था मामला?
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू को लेकर यह आरोप लगा था कि इसमें इस्तेमाल किए गए घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी।