दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में छठ पूजा की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यमुना में प्रदूषण का स्तर बहुत उच्च है और इस कारण वहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रदूषित जल में स्नान करने से लोग बीमार पड़ सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य संकट बढ़ सकता है।
यह प्रतिबंध यमुना नदी में प्रदूषण के कारण लगाया गया है, क्योंकि पानी में जहरीले झाग और अन्य खतरनाक तत्व मौजूद हैं। प्रदूषण के कारण नदी का पानी अत्यधिक गंदा और जहरीला हो गया है, जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है।
छठ पूजा के पहले दिन, जिसे “नहाय-खाय” के रूप में मनाया जाता है, श्रद्धालुओं ने कालिंदी कुंज क्षेत्र में नदी में स्नान किया, हालांकि वहां जहरीला झाग और गंदगी की मोटी परतें मौजूद थीं। इस पर विशेषज्ञों और प्रशासन ने चिंता जताई है, क्योंकि इस प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दे सामने आ सकते हैं।
छठ पूजा सूर्य देवता की पूजा के लिए समर्पित होती है और इसे विशेष रूप से कठोर दिनचर्या के साथ मनाया जाता है। श्रद्धालु इस अवसर पर नदी में स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और विशेष प्रसाद तैयार करते हैं। इस बार प्रदूषण के कारण, प्रशासन ने श्रद्धालुओं को यह चेतावनी दी है कि वे प्रदूषित जल से बचें और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
Delhi Chhath Puja row | A Public Interest Litigation (PIL) was filed in Delhi High Court challenging the government’s decision to ban celebrations on the banks of the Yamuna River.
The court, however, declined to issue any directions and stated that there are other ghats and… pic.twitter.com/jMhZox2arM
— ANI (@ANI) November 6, 2024
दिल्ली में छठ पूजा के लिए घाटों की तैयारी को लेकर सत्तारूढ़ आप (आम आदमी पार्टी) और विपक्षी भा.ज.पा (भारतीय जनता पार्टी) के बीच कई दिनों से राजनीतिक संघर्ष चल रहा है। यह विवाद विशेष रूप से दिल्ली के पूर्वांचली समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से ताल्लुक रखते हैं और भोजपुरी भाषी हैं। इस समुदाय का दिल्ली के मतदाता आधार में 30-40 प्रतिशत का योगदान है, जो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।
दिल्ली सरकार ने इस मौके पर 7 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है, जिससे छठ पूजा के आयोजन को और बढ़ावा मिला है। यह निर्णय मुख्य रूप से पूर्वांचली समुदाय की पूजा की मान्यता और उनकी धार्मिक आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे इस समुदाय के लिए यह त्यौहार और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
इस बीच, आप और भा.ज.पा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। आप ने छठ पूजा के लिए घाटों की उचित तैयारी और व्यवस्थाओं को लेकर सरकार की तत्परता पर जोर दिया, जबकि भा.ज.पा ने दिल्ली सरकार पर विधायिका और धार्मिक आस्थाओं के मामलों में उपेक्षा का आरोप लगाया है। यह राजनीतिक संघर्ष छठ पूजा की तैयारियों के साथ-साथ दिल्ली के आगामी चुनावों में पूर्वांचली समुदाय के समर्थन को लेकर महत्वपूर्ण हो सकता है।