विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक समाप्त हो गई, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने मंत्रालय के अनुदान संबंधी जानकारी साझा की। इस बैठक का मुख्य फोकस मंत्रालय के अनुदान पर ही रहा, जबकि चीन और कनाडा से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं की जा सकी। यह बैठक इसलिए भी खास थी क्योंकि समिति के एजेंडे में इन दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श शामिल था।
चीन और कनाडा के मामलों का समिति की बैठक में संबोधन न होना, विशेष रूप से राजनयिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की इस बैठक में विपक्षी सांसदों का कहना है कि अनुदान संबंधी कार्यवाही में ही पूरा समय निकल गया, जिससे चीन और कनाडा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी। सांसदों के अनुसार, विदेश सचिव के लिए केवल दस मिनट में इन गंभीर विषयों पर जानकारी देना व्यावहारिक नहीं था।
समिति के कार्यक्रम के अनुसार, 29 अक्टूबर को भारत-कनाडा संबंधों पर चर्चा होनी थी, लेकिन अनुदान के मुद्दे में अधिक समय लगने के कारण यह चर्चा संभव नहीं हो पाई। यह स्थिति विपक्षी सांसदों में असंतोष का कारण बनी, क्योंकि कनाडा और चीन से जुड़े मामलों पर बातचीत इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बैठक में शामिल रहे ये सदस्य
समिति की बैठक में शामिल विपक्षी सांसदों ने बताया कि 4 नवंबर को प्रसारित एक नोट में चीन पर चर्चा का जिक्र किया गया था। इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं। आज की बैठक में कई प्रमुख सदस्यों ने भाग लिया, जिनमें आरपीएन सिंह, अपराजिता सारंगी, किरण चौधरी, सागरिका घोष, और जॉन ब्रिटास सहित अन्य सदस्य शामिल थे।
#WATCH दिल्ली: विदेश मामलों पर संसदीय स्टैंडिंग समिति की बैठक संपन्न हुई। pic.twitter.com/I1Tf8O9pnf
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 6, 2024
हालांकि, अनुदान पर चर्चा में समय समाप्त होने के कारण कनाडा और चीन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार नहीं हो सका। इस स्थिति ने कई सदस्यों में निराशा पैदा की है, क्योंकि ये मुद्दे वर्तमान में विदेश नीति के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं।
हिंदू मंदिर पर हमला चिंताजनक
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर हमले को चिंताजनक करार दिया और इसे कनाडा में चरमपंथी ताकतों को राजनीतिक शरण देने का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि कनाडा में यह हमला बेहद गंभीर है, और यह स्पष्ट रूप से धार्मिक असहिष्णुता और चरमपंथी गतिविधियों की ओर इशारा करता है।
विदेश मंत्री इन दिनों ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर हैं, जो 3-7 नवंबर तक जारी है।
कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव तब से बढ़ गया है जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की कथित संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया था, और इसके जवाब में भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत अन्य अधिकारियों को वापस बुला लिया था। यह विवाद दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक खटास का कारण बना था।