प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के सैनिकों के लिए लागू की गई वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के 10 साल पूरे होने पर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि यह दिन उन वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को सम्मानित करने का अवसर है, जिन्होंने अपने जीवन को देश की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।
On this day, #OneRankOnePension (OROP) was implemented. This was a tribute to the courage and sacrifices of our veterans and ex-service personnel who dedicate their lives to protecting our nation. The decision to implement OROP was a significant step towards addressing this…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2024
उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “आज ही के दिन, वन रैंक वन पेंशन (OROP) लागू की गई थी। यह निर्णय हमारे नायकों की उस लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने का प्रतीक है और हमारे देश की कृतज्ञता की पुष्टि करता है।”
OROP योजना, जो समान रैंक और सेवा अवधि वाले पूर्व सैनिकों के लिए समान पेंशन सुनिश्चित करती है, सैनिकों और पूर्व सेवा कर्मियों की एक महत्वपूर्ण मांग रही है। इस योजना के तहत, सेवा में शामिल सभी रैंक के सैनिकों के लिए समान पेंशन की व्यवस्था की गई है, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति का वर्ष कोई भी हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने OROP को लागू करने के निर्णय को सैनिकों के साहस और बलिदान के प्रति राष्ट्र की गहरी कृतज्ञता का प्रतीक बताया और कहा कि यह फैसला देश के नायकों को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
It would make you all happy that over the decade, lakhs of pensioners and pensioner families have benefitted from this landmark initiative. Beyond the numbers, OROP represents the government’s commitment to the well-being of our armed forces.
We will always do everything…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2024
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना को बीजेपी सरकार के प्रमुख मुद्दों में से एक के रूप में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य समान रैंक और सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख की परवाह किए बिना समान पेंशन प्रदान करना था, जिससे उनके कल्याण को सुनिश्चित किया जा सके।
इस योजना के लागू होने से लाखों सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिवारों को लाभ मिला है। यह योजना न केवल पेंशनभोगियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि यह सशस्त्र बलों के कर्मियों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।
OROP से यह सुनिश्चित किया गया कि पुराने समय में सेवानिवृत्त हुए सैनिकों और हाल के सेवानिवृत्त सैनिकों के बीच पेंशन में कोई असमानता न रहे, जिससे इस योजना ने सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने और उन्हें सम्मान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैन्य कर्मियों को मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना को लागू करने के वादे को पूरा करने की बात दोहराई और कहा कि यदि कांग्रेस की सरकार होती, तो यह योजना केवल एक सपना बनकर रह जाती। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसे उनकी सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी OROP की सराहना करते हुए इसे प्रधानमंत्री मोदी की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का एक अहम स्तंभ कहा। उन्होंने बताया कि इस योजना से 2.5 मिलियन से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को लाभ मिला है। राजनाथ सिंह ने इस योजना को सरकार की सैनिकों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक माना।
OROP के माध्यम से, सरकार ने समान रैंक और सेवा अवधि वाले सभी सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए समान पेंशन सुनिश्चित की है, जिससे वर्षों से चली आ रही मांग को पूरा किया गया और पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को मजबूती दी गई।
जानें क्या है इसकी खासियत ?
‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का उद्देश्य समान रैंक और सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से बिना फर्क किए समान पेंशन प्रदान करना है। यह योजना लागू होने से पहले, पूर्व सैनिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पेंशन प्राप्त करते थे, जिसके कारण पुराने और नए सेवानिवृत्त सैनिकों की पेंशन में अंतर हो जाता था।
यह नीति उन सभी सैनिकों के लिए लागू है जो 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसका गठन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित ‘कोश्यारी समिति’ की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इस योजना का लाभ सबसे अधिक उत्तर प्रदेश और पंजाब के पूर्व सैनिकों को मिल रहा है, जो इस नीति के सबसे बड़े लाभार्थी राज्य हैं।