वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले महीने 21-22 दिसंबर 2024 को बजट-पूर्व परामर्श और जीएसटी परिषद की बैठक के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिल सकती हैं। इस बैठक में राज्य वित्त मंत्रियों द्वारा 2025-26 के केंद्रीय बजट के लिए अपनी सिफारिशें पेश की जाएंगी, जिसे 1 फरवरी 2025 को पेश किया जाएगा।
जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक इन दो दिनों में से किसी एक दिन होगी, जिसमें खास तौर पर स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर छूट या जीएसटी दरों को घटाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। इसके अलावा, राज्यों के वित्त मंत्रियों के पैनल की सिफारिशों के आधार पर 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक टैक्स दरों में कमी करने की संभावना है, जो आम उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बन सकती है।
यह बैठक जीएसटी दरों में समायोजन और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति बनी थी
जीएसटी परिषद और मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर सहमति जताई है। इस संबंध में एक प्रमुख फैसला बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट को लेकर लिया गया है।
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी से छूट देने पर गठित मंत्रियों के समूह ने सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा, एक अन्य प्रस्ताव में 5 लाख रुपये तक के कवरेज वाले स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर भी जीएसटी से छूट देने का विचार किया जा रहा है, खासकर उन व्यक्तियों के लिए जिन्होंने इस पॉलिसी का भुगतान किया है।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा के क्षेत्र में प्रीमियम भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को राहत देना है, जिससे आम लोगों को आर्थिक बोझ कम महसूस हो और इन सेक्टरों को प्रोत्साहन मिले।
यह निर्णय राजस्थान के जैसलमेर या जोधपुर में आयोजित होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में अंतिम रूप से लिया जा सकता है।
इन स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर राहत नहीं
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के 5 लाख रुपये से अधिक के कवर पर जीएसटी राहत नहीं दी जाएगी। जीएसटी परिषद ने यह निर्णय लिया कि ऐसे स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी जारी रहेगा। हालांकि, 5 लाख रुपये तक के कवरेज वाले स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव था, जो आगे चलकर प्रभावी हो सकता है।
जीएसटी परिषद द्वारा की गई अन्य सिफारिशों में पैकज्ड पेयजल, साइकिल, व्यायाम नोटबुक, लक्जरी कलाई घड़ियां, और जूतों पर कर दरों में फेरबदल की बात की गई है। इस फेरबदल से 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व लाभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
यह फैसला जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक में जीओएम द्वारा दी गई रिपोर्ट पर आधारित था।
इन पर भी घट सकता है जीएसटी
जीएसटी दरों में प्रस्तावित बदलाव के तहत, मंत्रिसमूह ने कुछ वस्तुओं पर कर दरों में घटोतरी और वृद्धि के प्रस्ताव दिए हैं:
- पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर (20 लीटर या उससे अधिक) पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
- साइकिलों (10,000 रुपये से कम कीमत वाली) पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।
- व्यायाम नोटबुक पर भी जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
- जूतों (15,000 रुपये प्रति जोड़ी से अधिक कीमत वाले) पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का सुझाव है।
- कलाई घड़ियां (25,000 रुपये से अधिक कीमत वाली) पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
यदि जीएसटी परिषद इन सिफारिशों को मंजूरी देती है, तो इससे कुछ वस्तुओं पर जीएसटी में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं संयोजक
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर गठित 13 सदस्यीय मंत्रिसमूह और दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित 6 सदस्यीय मंत्रिसमूह के संयोजक हैं। वर्तमान में, जीएसटी एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब हैं। जीएसटी के तहत, जरूरी वस्तुओं को या तो छूट दी जाती है या सबसे कम स्लैब पर कर लगाया जाता है, जबकि लग्जरी वस्तुओं पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत स्लैब के ऊपर उपकर लगता है।