भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की आगामी नेपाल यात्रा (20-24 नवंबर) कई महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ी है, जिनमें धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामरिक आयाम शामिल हैं। उनकी इस यात्रा में मुक्तिनाथ मंदिर की विशेष भूमिका है।
मुक्तिनाथ मंदिर और जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि:
- मुक्तिनाथ मंदिर:
- नेपाल के मस्तांग जिले में स्थित, यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है।
- इसे मोक्ष प्राप्ति का स्थल माना जाता है।
- जनरल बिपिन रावत की स्मृति में:
- 2023 में, जनरल रावत की मृत्यु के बाद, उनके सम्मान में इस मंदिर में एक बेल लगाई गई थी।
- इस बेल का उद्घाटन भारतीय सेना के चार पूर्व प्रमुखों—जनरल विश्नाथ शर्मा, जनरल जेजे सिंह, जनरल दीपक कपूर, और जनरल दलबीर सिंह सुहाग—की उपस्थिति में किया गया।
- यह बेल भारत और नेपाल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
- जनरल उपेंद्र द्विवेदी यहां पहुंचकर जनरल रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
यात्रा के अन्य प्रमुख पहलू:
- भारत-नेपाल सैन्य संबंध:
- जनरल द्विवेदी की यात्रा का उद्देश्य भारत और नेपाल के सैन्य संबंधों को मजबूत करना है।
- दोनों देशों के बीच “भारतीय और नेपाली सेना प्रमुख को एक-दूसरे की सेना का ‘मानद जनरल’ बनाने की परंपरा” संबंधों की गहराई को दर्शाती है।
- सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध:
- मुक्तिनाथ जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा भारत और नेपाल के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करती है।
- यह यात्रा दोनों देशों की जनता के बीच भावनात्मक संबंधों को भी मजबूत करती है।
नेपाल के लिए रणनीतिक महत्व:
- भारत और नेपाल का रक्षा और सुरक्षा सहयोग लंबे समय से एक मजबूत स्तंभ रहा है।
- यह यात्रा चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत के पड़ोसी प्रथम नीति और नेपाल के साथ रक्षा साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
मुक्तिनाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और नेपाल के बीच सैन्य संबंधों का प्रतीक भी माना जाता है। यहाँ की बेल की स्थापना ने दोनों देशों के बीच सहयोग और रिश्तों को और मजबूती दी है।
नेपाल-भारत सैन्य संबंधों का प्रतीक:
- गोरखा सैनिकों की भूमिका:
- भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की एक बड़ी संख्या है, जो दोनों देशों के सैन्य संबंधों का अहम हिस्सा हैं। गोरखा सैनिक नेपाल से आते हैं, और इनकी बहादुरी और समर्पण को भारतीय सेना ने हमेशा सराहा है।
- यह मंदिर और उसकी बेल, भारत और नेपाल के सैनिक रिश्तों का प्रतीक बन गए हैं, जो लंबे समय से एकजुटता और सहयोग की मिसाल पेश करते हैं।
- मानद उपाधियाँ:
- भारत और नेपाल के बीच एक पारंपरिक संबंध है, जिसमें दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों को मानद उपाधियाँ दी जाती हैं। यह न केवल दो सेनाओं के बीच गहरे रिश्ते को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य सहयोगी हैं।
- इस यात्रा के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नेपाली सेना की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा, जो दोनों देशों के मजबूत सैन्य रिश्तों को और अधिक गहरा करेगा।
- 260वें स्थापना दिवस पर बेल की स्थापना:
- नेपाली सेना के 260वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुक्तिनाथ मंदिर में बेल की स्थापना की गई थी। यह बेल भारत और नेपाल के बीच सैन्य सहयोग और साझेदारी का प्रतीक बन गई है।
- इस बेल को भारतीय और नेपाली सेनाओं के रिश्तों को मूल्यांकित और सम्मानित करने के रूप में देखा जाता है, और यह भविष्य में दोनों देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग को प्रगाढ़ बनाए रखने का संकल्प है।
दोनों देशों में संबंधों में सुधार की उम्मीद
जनरल द्विवेदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच ‘अग्निवीर योजना’ के कारण आई खटास को दूर करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है. भारतीय सेना में ‘अग्निवीर योजना’ के लागू होने के बाद, नेपाल सरकार ने अपने नागरिकों को भारतीय सेना में भर्ती होने से रोक दिया था. जिसके कारण भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती में समस्या आ रही है. इससे भारतीय सेना, विशेषकर गोरखा रेजिमेंट में करीब 12,000 सैनिकों की कमी हो गई है. जनरल द्विवेदी के इस दौरे से उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुद्दे का समाधान निकल सकता है.