उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) और सहारनपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नजीर अहमद वानी को गिरफ्तार करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी कामयाबी है। 30 साल से फरार नजीर अहमद वानी पर 1993 में उत्तर प्रदेश के देवबंद में पुलिसकर्मियों पर ग्रेनेड हमले का गंभीर आरोप था।
घटना का विवरण:
- तारीख: 26 अगस्त 1993
- स्थान: देवबंद का यूनियन तिराहा, सहारनपुर
- हमला: पुलिसकर्मियों पर ग्रेनेड फेंका गया, जिसमें दो पुलिसकर्मी और दो नागरिक घायल हुए थे।
- प्राथमिकी: घटना के बाद IPC की धारा 307 (हत्या के प्रयास) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
आरोपी की पहचान और गतिविधियां:
- नजीर अहमद वानी जम्मू-कश्मीर के बड़गाम जिले का निवासी है।
- हमले के बाद से वह फर्जी दस्तावेजों के सहारे देवबंद में रह रहा था।
- उस पर ₹25,000 का इनाम घोषित था।
- जाँच में यह भी सामने आया कि वह हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था और स्थानीय स्तर पर अपनी पहचान छिपाए हुए था।
गिरफ्तार करने की प्रक्रिया:
सहारनपुर पुलिस और ATS की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर उसे गिरफ्तार किया। फर्जी दस्तावेजों और पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर उसने लंबे समय तक गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से वह पकड़ा गया।
मामले का महत्व:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: इतने लंबे समय तक फरार रहकर वह किसी बड़े आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। उसकी गिरफ्तारी से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम जानकारी मिल सकती है।
- फर्जी दस्तावेजों का उपयोग: फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए वह बिना शक के देवबंद में रह रहा था, जो सिस्टम की खामियों को उजागर करता है।
- स्थानीय नेटवर्क: उसकी गतिविधियों और संपर्कों का पता लगाना जरूरी है ताकि ऐसे और मामले सामने आ सकें।
आगे की जांच:
- नेटवर्क का खुलासा: नजीर वानी के पीछे कौन-कौन लोग हैं और उसके स्थानीय संपर्क कौन थे, यह जांच का अहम हिस्सा होगा।
- साजिश का पता लगाना: 1993 के हमले की पूरी साजिश की कड़ियों को जोड़ने और इसके संभावित सह-अभियुक्तों को पकड़ने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर कार्रवाई: जांच में उन लोगों की भी पहचान की जाएगी, जिन्होंने उसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने में मदद की।
➡️एटीएस युनिट सहारनपुर व थाना देवबन्द की संयुक्त पुलिस टीम द्वारा ग्रेनेड हमले (बम विस्फोट) के मुकदमें में 30 वर्षों से वांछित/वारंटी 25,000/- रूपये का इनामी अभियुक्त गिरफ्तार।#UPPolice @News18UP @aajtak pic.twitter.com/4aX78KmXHW
— Saharanpur Police (@saharanpurpol) November 18, 2024
नजीर अहमद कश्मीर के बड़गाम जिले में थानाक्षेत्र पारिमपुरा के गाँव इन्जक शरीफाबाद का रहने वाला था। वह हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय आतंकी था जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे लम्बे समय से UP के देवबंद में रह रहा था। आखिरकार 26 मई 1994 को पुलिस ने नजीर अहमद वानी को गिरफ्तार कर लिया।
तब फर्जी कागजातों के इस्तेमाल की वजह से उस पर पुलिस ने एक अन्य केस दर्ज करवाया था। यह नई देवबंद थाने में ही FIR IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा 467, 468 और 471 के तहत दर्ज हुई थी। साल 1994 में ही नजीर अहमद की जमानत हो गई। तब से नजीर अहमद अदालत में कभी पेश नहीं हुआ। पिछले 30 वर्षों से भी अधिक समय से वह लगातार अपना नाम और पता बदल रहा था।
हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नजीर अहमद वानी की गिरफ्तारी, जो 30 वर्षों से फरार था, सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी उपलब्धि है। सहारनपुर पुलिस और एटीएस ने लंबी छानबीन और योजनाबद्ध तरीके से इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
घटनाक्रम:
- स्थायी वारंट जारी:
- 20 मई 2024 को सहारनपुर की अदालत ने नजीर अहमद वानी के खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया।
- इसके बाद, सहारनपुर पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए ₹25,000 का इनाम घोषित किया और एटीएस को भी इस कार्य में शामिल किया।
- गिरफ्तारी:
- तारीख: 17 नवंबर 2024
- स्थान: बड़गाम जिले के हाकर मुल्ला गाँव (सोईबुद्ध कस्बे के पास), जम्मू-कश्मीर।
- नजीर वहां गुप्त रूप से रह रहा था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने उसकी पहचान की और कार्रवाई की।
- कानूनी प्रक्रिया:
- गिरफ्तारी के बाद, आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर उसे कश्मीर से सहारनपुर लाया गया।
- सहारनपुर की अदालत में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया।
पुलिस और एटीएस की भूमिका:
सहारनपुर पुलिस और एटीएस ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि 30 वर्षों से फरार नजीर को उसके छिपने के स्थान से ढूंढ निकाला जाए। इस ऑपरेशन में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों का समन्वय और जमीनी स्तर पर सटीक जानकारी का उपयोग महत्वपूर्ण साबित हुआ।
नजीर अहमद वानी के खिलाफ आरोप:
- 1993 का हमला: देवबंद में पुलिसकर्मियों पर ग्रेनेड फेंकने का मामला।
- IPC धारा 307: हत्या के प्रयास का आरोप।
- विस्फोटक पदार्थ अधिनियम: सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए विस्फोटक का उपयोग।
गिरफ्तारी का महत्व:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: इस गिरफ्तारी से हिजबुल मुजाहिदीन के कार्यकलापों और नेटवर्क पर अधिक जानकारी मिलने की संभावना है।
- लंबे समय से न्याय से बचने का अंत: नजीर जैसे फरार आतंकियों को पकड़ना न्याय प्रक्रिया की जीत है।
- स्थानीय नेटवर्क पर चोट: उसकी गिरफ्तारी से यह पता लगाया जा सकेगा कि वह फर्जी दस्तावेजों के सहारे कब और कैसे अपने ठिकानों पर छिपा रहा।