प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष केअर स्टॉर्मर के बीच G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई यह पहली बैठक भारत-यूके संबंधों को मजबूत करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रही। इसमें आर्थिक सहयोग, प्रत्यर्पण, और वाणिज्यिक उपस्थिति बढ़ाने जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
बैठक की मुख्य बातें:
- नए वाणिज्य दूतावासों की स्थापना:
- भारत ने ब्रिटेन के बेलफास्ट और मैनचेस्टर में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा की।
- यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा।
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
- स्टॉर्मर ने घोषणा की कि भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता 2025 के आरंभ में फिर से शुरू होगी।
- यह समझौता व्यापार और निवेश के द्विपक्षीय प्रवाह को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- प्रत्यर्पण का मुद्दा:
- भारत ने भगोड़े भारतीय व्यापारियों विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण पर जोर दिया।
- यह विषय भारत-यूके संबंधों में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, और भारतीय पक्ष ने इसे शीघ्र हल करने की अपील की।
- संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने का संकल्प:
- दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और व्यापक बनाने, विशेषकर व्यापार, निवेश, और लोगों के आपसी संपर्क में वृद्धि पर चर्चा की।
- वाणिज्यिक सहयोग और तकनीकी साझेदारी बढ़ाने के लिए नई पहल पर भी विचार हुआ।
- अन्य मुद्दे:
- चर्चा में ग्लोबल साउथ और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक विषय भी शामिल थे।
- भारत ने ब्रिटेन के साथ नवाचार और हरित ऊर्जा में साझेदारी को प्राथमिकता दी।
महत्व और संभावित प्रभाव:
- FTA पर वार्ता: भारत-यूके एफटीए, जो अभी तक कई कारणों से रुका हुआ है, दोनों देशों के व्यापार और निवेश संबंधों को नई ऊँचाई दे सकता है।
- प्रत्यर्पण मुद्दा: यदि ब्रिटेन भारत की प्रत्यर्पण अपीलों पर ठोस कार्रवाई करता है, तो यह भारत में कानून के प्रति भरोसा बढ़ाएगा और दोनों देशों के बीच विश्वास को मजबूत करेगा।
- वाणिज्य दूतावास: नए दूतावासों की स्थापना भारतीय प्रवासियों और व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ेगा।
नए वर्ष में शुरू होगी वार्ता
जुलाई में ऋषि सुनक के बाद स्टॉर्मर के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी। भारत सरकार के बयान के अनुसार, महत्वाकांक्षी व्यापार समझौते पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने आशा व्यक्त की है कि एक ‘‘संतुलित, पारस्परिक रूप से लाभकारी और दूरदर्शी’’ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को अंतिम रूप दिया जाएगा, जबकि अन्य मुद्दों को आपसी सहमति से सुलझाया जाएगा। ब्रिटिश सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री स्टॉर्मर ने घोषणा की है कि नए वर्ष में ब्रिटेन-भारत व्यापार वार्ता फिर शुरू होगी।
भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर वार्ताओं की गति बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के कार्यालय ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस समझौते को दोनों देशों के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का प्रमुख स्तंभ माना जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि वार्ताओं में अभी भी कई विवादास्पद मुद्दों का समाधान किया जाना बाकी है।
बयान की मुख्य बातें:
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने कहा:
- “भारत के साथ एक नया व्यापार समझौता ब्रिटेन में नौकरियों और समृद्धि को बढ़ावा देगा।”
- यह ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को विकास और अवसर प्रदान करने के व्यापक मिशन का हिस्सा है।
- वार्ता का इतिहास और प्रगति:
- इस प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत जनवरी 2022 में शुरू हुई थी।
- अब तक 14 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें कई प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनी है।
- फिर भी, कुछ विवादित पहलुओं को लेकर दोनों पक्षों के बीच असहमति बनी हुई है।
प्रमुख विवादास्पद मुद्दे:
- वीज़ा नीति और आव्रजन:
- भारत चाहता है कि ब्रिटेन कुशल भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए वीज़ा नीति को आसान बनाए।
- ब्रिटेन आव्रजन नियमों को सख्त बनाए रखना चाहता है, जो वार्ता में एक प्रमुख बाधा है।
- टैरिफ और आयात-निर्यात:
- ब्रिटेन चाहता है कि भारत शराब, ऑटोमोबाइल, और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे।
- भारत इसके बदले ब्रिटिश बाजार में आभूषण, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स के लिए अधिक अनुकूल टैरिफ चाहता है।
- सरकारी खरीद और डिजिटल व्यापार:
- ब्रिटेन चाहता है कि भारतीय बाजार में उसकी कंपनियों को सरकारी अनुबंधों में अधिक अवसर मिलें।
- भारत डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन पर अपनी शर्तें सख्त बनाए रखना चाहता है।
- कार्य और पर्यावरण मानक:
- ब्रिटेन भारत से पर्यावरण और श्रम मानकों पर सख्त प्रतिबद्धताओं की मांग कर रहा है, जो भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है।