प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान वैश्विक नेताओं के साथ मुलाक़ात की। इन नेताओं के अलावा पीएम मोदी एक ऐसे व्यक्ति से मिले, जिनका जन्म तो ब्राजील में हुआ लेकिन अब वह भारतीय संस्कृति को दुनिया तक पहुँचा रहे हैं। पीएम मोदी ने रियो में आचार्य जोनास मैसेट्टी से मुलाक़ात की। आचार्य मैसेट्टी का जिक्र पीएम मोदी इससे पहले एक बार मन की बात में भी कर चुके हैं। आचार्य मैसेट्टी योग और गीता से दुनिया को परिचित करवा रहे हैं।
Met Jonas Masetti and his team. I had mentioned him during one of the #MannKiBaat programmes for his passion towards Vedanta and the Gita. His team presented glimpses of the Ramayan in Sanskrit. It is commendable how Indian culture is making an impact all over the world. pic.twitter.com/4Voy0OKt9X
— Narendra Modi (@narendramodi) November 20, 2024
पीएम मोदी ने जोनास मैसेट्टी से मिल कर लिखा, “जोनास मैसेट्टी और उनकी टीम से मुलाकात हुई। मैंने मन की बात कार्यक्रम के दौरान वेदान्त और गीता के प्रति उनकी श्रृद्धा का जिक्र किया था। उनकी टीम ने संस्कृत में रामायण की झलकियाँ प्रस्तुत कीं। यह सराहनीय है कि कैसे भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में प्रभाव डाल रही है।”
कौन हैं जोनास मैसेट्टी?
जोनास मैसेट्टी ब्राजील के रहने वाले एक व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई परिवर्तन किए हैं। वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षित हैं और पहले स्टॉक मार्केट में काम करते थे। हालांकि, वह अपने जीवन से संतुष्ट नहीं थे और कुछ समय बाद उन्होंने भारत आकर अपनी जीवनशैली को पूरी तरह बदल लिया।
जोनास मैसेट्टी की यात्रा:
- शुरुआत:
- जोनास मैसेट्टी ने ब्राजील में अपनी शिक्षा पूरी की थी और स्टॉक मार्केट में काम करके अच्छा खासा पैसा कमाया। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि पश्चिमी देशों में जिन चीजों की ज़रूरत होती है, वह सारी चीजें उनके पास थीं, फिर भी वह अपने जीवन से खुश नहीं थे।
- भारत में बदलाव:
- कुछ साल पहले वह भारत आए और यहां उन्होंने अपनी जीवनशैली में बदलाव करना शुरू किया। भारत में आकर उन्हें योग, वेदों और सनातन धर्म से गहरा जुड़ाव हुआ।
- उन्होंने भारत में आने के बाद आध्यात्मिकता की तरफ रुख किया और यह उनकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन गया।
- समृद्धि और आंतरिक शांति:
- जोनास ने यह महसूस किया कि भौतिक समृद्धि और बाहरी सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति है। भारत में रहकर उन्होंने अपने जीवन के उद्देश्य को नए दृष्टिकोण से देखा।
जोनास मैसेट्टी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि भौतिक सुख-साधन और सफलता भी यदि आंतरिक शांति के साथ नहीं होते, तो व्यक्ति पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो सकता। भारत में आने के बाद उन्होंने एक नई दिशा अपनाई और आध्यात्मिक जीवन को प्राथमिकता दी।
जोनास मैसेट्टी ने सनातन धर्म और वेदांत की ओर रुख क्यों किया, इसका कारण उनके जीवन में आंतरिक शांति और संतुष्टि की तलाश था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि पश्चिमी जीवन से वह संतुष्ट नहीं थे, जबकि उनके पास सभी भौतिक सुख-साधन थे। वह महसूस कर रहे थे कि बाहरी समृद्धि के बावजूद अंदर की शांति की कमी थी। ऐसे में उन्होंने वेदांत और सनातन धर्म की तरफ रुख किया।
सनातन धर्म को चुनने के कारण:
- पश्चिमी जीवन से असंतोष:
- जोनास का कहना था कि पश्चिमी देशों में जीवन की जो अवधारणा है, वह उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाई। भले ही उनके पास हर वो चीज थी जो एक पश्चिमी व्यक्ति को चाहिए, परंतु आंतरिक संतोष की कमी थी।
- वेदांत की ओर रुझान:
- जोनास ने महसूस किया कि आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति के लिए कुछ और करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने वेदांत की ओर रुख किया और भारत की यात्रा की।
- आचार्य दयानंद सरस्वती के आश्रम में वेदान्त का अध्ययन:
- जोनास तमिलनाडु के कोयम्बटूर में आचार्य दयानंद सरस्वती के आश्रम में वेदान्त का अध्ययन करने गए। यहां उन्हें आचार्य का दर्जा मिला और यह अनुभव उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
- विश्व विद्या संस्थान की स्थापना:
- सनातन से प्रभावित होकर उन्होंने ब्राजील में विश्व विद्या नामक संस्थान की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म और वेदांत का प्रचार करना था। यह संस्थान रियो के पास स्थित था और इसके माध्यम से उन्होंने ब्राजील और अन्य देशों में सनातन धर्म को फैलाने का काम किया।
जोनास मैसेट्टी का यह बदलाव इस बात का उदाहरण है कि किसी व्यक्ति का आंतरिक संतोष और शांति की खोज उसे धार्मिक और आध्यात्मिक रास्ते पर ले जा सकती है, जो उसके जीवन को नई दिशा देता है।
अब कर रहे संस्कृति का प्रचार
जोनास मैसेट्टी भारतीय संस्कृति में ढलने के बाद आचार्य विश्वनाथ हो गए हैं। मैसेट्टी अब वेदान्त की शिक्षा विदेशों में देते हैं। वह विदेशी छात्रों को योग और गीता पढ़ाते हैं। वह रामायण आदि की कहानियाँ भी लोगों को बताते हैं। उन्हें आयुर्वेद के बारे में भी समझाते हैं। मैसेट्टी ब्राजीम में अपने आश्रम में कई छात्रों को सनातन की धार्मिक शिक्षा देते हैं। वह और उनके साथी रामायण का मंचन भी करते हैं और झांकियों के जरिए लोगों को हिन्दू धर्म के विषय में समझाते हैं।
पीएम मोदी ने भी मैसेट्टी का किया था जिक्र
पीएम मोदी ने जोनास मैसेट्टी का जिक्र 2020 में मन की बात में किया था। पीएम मोदी ने जोनास मैसेट्टी जैसे लोगों को ‘भारत का सांस्कृतिक राजदूत’ करार दिया था। पीएम मोदी ने उनको लेकर कहा,”भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए। मुझे ‘जोनास मैसेट्टी’ के काम के बारे में जानने का मौका मिला, जिन्हें ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है।”
The culture of India is gaining popularity all over the world.
One such effort is by @JonasMasetti, who is based in Brazil and popularises Vedanta as well as the Gita among people there.
He uses technology effectively to popularise our culture and ethos. #MannKiBaat pic.twitter.com/NX4jZtPzJX
— PMO India (@PMOIndia) November 29, 2020
पीएम मोदी ने आगे बताया, “जोनास ब्राजील में लोगों को वेदांत और गीता सिखाते हैं। वे विश्वविद्या नाम की एक संस्था चलाते हैं, जो रियो डी जेनेरियो से घंटे भर की दूरी पर पेट्रोपोलिस के पहाड़ों में स्थित है। जोनास ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, स्टॉक मार्केट में अपनी कंपनी में काम किया, बाद में उनका रुझान भारतीय संस्कृति और खासकर वेदान्त की तरफ हो गया। स्टॉक से लेकर के धार्मिकता तक वास्तव में उनकी एक लंबी यात्रा है।”