भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून के बीच वियनतियाने (लाओस) में हुई द्विपक्षीय बैठक सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बैठक भारत और चीन के बीच हाल के सीमा विवादों, खासतौर पर लद्दाख क्षेत्र में डेमचोक और देपसांग जैसे संवेदनशील इलाकों में सैनिकों की वापसी के बाद पहली उच्चस्तरीय बातचीत थी।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की समीक्षा:
- दोनों रक्षा मंत्रियों ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति और सैनिकों की वापसी के प्रभाव का आकलन किया।
- हाल ही में, डेमचोक और देपसांग इलाकों से सैनिकों की वापसी और गश्त प्रक्रिया फिर से शुरू होने के बाद, यह वार्ता एक सकारात्मक संकेत है।
- सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास:
- सीमा विवाद पर कई दौर की वार्ताओं के बाद, भारत और चीन ने सैनिकों को विवादित क्षेत्रों से हटाने पर सहमति बनाई थी।
- इस बैठक में इन समझौतों के प्रभाव और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की गई।
- आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus):
- राजनाथ सिंह की वियनतियाने यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य इस बहुपक्षीय मंच में भाग लेना था।
- ADMM-Plus, जिसमें 10 आसियान देश और 8 साझेदार देश (भारत, चीन, अमेरिका, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, न्यूजीलैंड) शामिल हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रमुख मंच है।
- चीन के साथ बढ़ते तनाव:
- भारत और चीन के बीच सीमा विवाद 2020 के गालवान संघर्ष के बाद से संवेदनशील बना हुआ है।
- सैनिकों की वापसी के बाद भी, दोनों देशों के बीच विश्वास की बहाली और सीमा प्रबंधन पर स्थायी समाधान की आवश्यकता बनी हुई है।
बैठक का महत्व:
- सैन्य तनाव में कमी:
- डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी के बाद, यह बातचीत भारत-चीन के बीच सैन्य तनाव को और कम करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
- आसियान फोरम का उपयोग:
- ADMM-Plus जैसे मंच के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर भारत और चीन के विचार साझा करने का अवसर मिला।
- रणनीतिक संवाद:
- भारत और चीन के बीच ऐसी उच्चस्तरीय बातचीत से भविष्य में सीमा पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने और बेहतर संवाद कायम रखने में मदद मिलेगी।
भारत के लिए यह बैठक क्यों अहम है?
- सीमा प्रबंधन: सीमा विवाद को सुलझाने और स्थायी समाधान की दिशा में यह एक बड़ा कदम हो सकता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता: आसियान जैसे मंचों के माध्यम से भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को मजबूत कर सकता है।
- चीन के साथ संतुलन: क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर चीन की रणनीति का मुकाबला करने के लिए यह बैठक रणनीतिक संतुलन बनाने में सहायक होगी।
राजनाथ सिंह की वियनतियाने यात्रा भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और क्षेत्रीय सुरक्षा में उसकी सक्रिय भूमिका को भी रेखांकित करती है।