उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर स्थित मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में मतदान के दौरान पथराव करने वाले आरोपितों पर FIR दर्ज की है। पुलिस ने 28 नामजद और 120 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। आरोपितों में 3 महिलाएँ भी हैं और ये सभी मुस्लिम समुदाय की हैं। ये सभी समाजवादी पार्टी और AIMIM से जुड़े हैं। इसके अलावा AIMIM के प्रत्याशी के बेटे को हिरासत में लिया गया है।
जिन आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है, उनके नाम हैं- शेर अली, शाह आलम, दानिश, मट्टू, गुड्डू, जब्बार, शाहनवाज, सावेज, अव्वलीन, सद्दाम, सादाब, औरंगजेब, अंजीम, दीनू, गुलशेर, शाहनजर, जावेद, परवेज, कय्यूम, इनाम, सलमान, सद्दाम-2, अनीस, मौसम, नजर, सुल्ताना बीबी, तोहिदा बीबी और तनजिला बीबी है।
इन आरोपितों के खिलाफ BNS की धारा 109, 115(2), 121(1), 121(2), 125, 131, 132, 190, 191(2), 191(3), 223, 351(2), 351(3) और 352 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके अलावा, इन पर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम (CrPC) की धारा 7 पर लगाया गया है। इसके अलावा, FIR में अज्ञात लोगों को भी शामिल किया गया है।
मामले के संभावित राजनीतिक और सामाजिक पहलू:
- राजनीतिक ध्रुवीकरण:
- S.P. और AIMIM से जुड़े व्यक्तियों पर आरोपों से मामले को राजनीतिक रंग मिल सकता है।
- यह घटना चुनाव के दौरान राज्य में राजनीतिक माहौल को और तनावपूर्ण बना सकती है।
- धार्मिक और सामाजिक प्रभाव:
- आरोपियों के मुस्लिम समुदाय से जुड़े होने से यह घटना धार्मिक दृष्टिकोण से संवेदनशील हो सकती है।
- क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखना प्रशासन के लिए चुनौती होगी।
- चुनाव प्रक्रिया पर असर:
- इस घटना से चुनावी प्रक्रिया और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
- सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था पर चर्चा तेज होगी।
FIR में कहा गया है कि शेर अली, शाह आलम, दानिश सहित समाजवादी पार्टी से जुड़े 15 आरोपित और AIMIM से जुड़े दूसरे पक्ष के अजीम, दीनू, गुलशेर सहित 10 आरोपित वोट देने को लेकर आपस में लड़ रहे थे। समाजवादी पक्ष की ओर से 15 आरोपितों के साथ 60-70 अज्ञात लोग थे। वहीं, AIMIM पक्ष की ओर से 10 आरोपितों के साथ 40-50 अज्ञात लोग थे।
मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसक घटना में पुलिस और दोनों पक्षों के बीच झड़प के बाद तनाव बढ़ गया है। इस घटना से जुड़े कई पक्षों ने राजनीतिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रतिक्रिया दी है।
घटना का विवरण:
- हिंसक झड़प:
- पुलिस को जब घटना की जानकारी मिली, तो वे टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की।
- इसके बाद दोनों पक्षों ने पुलिस पर हमला किया और जान से मारने की नीयत से पथराव किया।
- पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए, और सड़क पर ट्रैफिक जाम हो गया। महिलाओं और बच्चों के चीखने-चिल्लाने के कारण स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।
- पुलिस का बल प्रयोग:
- पुलिस को मजबूर होकर बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस ने पिस्टल का इस्तेमाल किया और भीड़ को तितर-बितर किया।
- एसएसपी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू किया।
- मुख्य आरोपी और गिरफ्तारियां:
- AIMIM के प्रत्याशी अरशद राणा के बेटे को हिरासत में लिया गया।
- आरोप था कि वह मोबाइल लेकर बूथ के पास जा रहे थे, जो चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकते थे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
- अखिलेश यादव का आरोप:
- समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे वोटरों को धमकाने की कोशिश करार दिया।
- उन्होंने मीरापुर के SHO राजीव शर्मा के निलंबन की मांग की और इसे चुनावी दखलंदाजी बताया।
- अखिलेश ने इस संबंध में एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें पुलिसकर्मी महिलाओं के सामने खड़े थे, और दावा किया कि SHO रिवॉल्वर से वोटर्स को डराकर मतदान करने से रोक रहे थे।
- पार्टी विरोध:
- अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर उनका विरोध भी बढ़ गया। नेटिज़न्स ने उन पर आरोप लगाया कि वे घटना को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इसे बढ़ा रहे हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक प्रतिक्रिया:
- पुलिस की कार्रवाई:
- पुलिस ने बल प्रयोग करने के बाद स्थिति को काबू किया और दोनों पक्षों के खिलाफ FIR दर्ज की है।
- पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्हें कठोर कदम उठाने पड़े।
- पुलिस अधिकारी की भूमिका:
- SHO राजीव शर्मा पर लगाए गए आरोपों के बावजूद, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखा और आगे की कार्रवाई के लिए अधिकारियों की एक टीम भेजी।
- एसएसपी ने भी घटनास्थल का दौरा किया और पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया।