जम्मू में कश्मीरी पंडित प्रवासियों की दुकानों पर जम्मू विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा की गई कार्रवाई ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। मुठी इलाके में हुई इस घटना से प्रवासी कश्मीरी पंडितों के प्रति प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जो पहले से ही विस्थापन और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
घटना का विवरण
- JDA की कार्रवाई: JDA ने दावा किया कि 25 कनाल ज़मीन को खाली कराने के लिए पहले से ही नोटिस जारी किया गया था और यह जमीन गरीबों के लिए 208 घर बनाने के लिए आवंटित है।
- प्रभावित दुकानदारों का पक्ष: दुकानदारों का कहना है कि उन्हें कार्रवाई से पहले कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी गई। कुछ बुजुर्ग कश्मीरी पंडितों ने इसे उनके पुनर्वास और आजीविका पर हमला बताया।
- प्रशासन का तर्क: JDA का कहना है कि प्रभावित लोगों को नोटिस जनवरी 2024 में दिया गया था, लेकिन चुनाव आचार संहिता और अन्य कारणों से कार्रवाई में देरी हुई। इसके साथ ही JDA ने 10 वैकल्पिक दुकानों की व्यवस्था का दावा किया है।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ
- राजनीतिक प्रतिक्रिया:
- कई राजनीतिक दलों ने सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की।
- विपक्षी दलों ने इसे संवेदनहीन बताया और सरकार पर विस्थापित कश्मीरी पंडितों की अनदेखी का आरोप लगाया।
- भाजपा समर्थित प्रशासन पर भी कश्मीरी पंडित संगठनों ने सवाल उठाए।
- कश्मीरी पंडित संगठनों की प्रतिक्रिया:
- संगठनों ने इस कदम को विस्थापन से पीड़ित समुदाय के साथ अन्याय बताया।
- उन्होंने सरकार से तत्काल पुनर्वास और आजीविका सुनिश्चित करने की मांग की।
- सोशल मीडिया पर विरोध:
- घटना से जुड़े वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग अपने दर्द और आक्रोश को जाहिर कर रहे हैं।
- एक बुजुर्ग का रोते हुए कहना, “हम सब कुछ खो चुके हैं। अब कहाँ जाएँ?”, लोगों के बीच भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है।
प्रशासन की योजना
JDA का दावा है कि:
- खाली कराई गई जगह पर गरीबों के लिए 208 मकानों का निर्माण किया जाएगा।
- प्रभावित दुकानदारों को वैकल्पिक जगह प्रदान की जाएगी।
चिंताएँ और सुझाव
- प्रभावितों के लिए पुनर्वास:
- सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विस्थापित दुकानदारों को वैकल्पिक आजीविका और स्थान मुहैया कराई जाए।
- समुदाय की सुरक्षा:
- कश्मीरी पंडित समुदाय पहले से ही विस्थापन के दर्द का सामना कर रहा है। उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता आवश्यक है।
- पारदर्शिता और संवाद:
- ऐसी कार्रवाइयों से पहले उचित संवाद और पारदर्शिता जरूरी है। अचानक की गई कार्रवाई से समुदाय में रोष और असुरक्षा की भावना बढ़ती है।
महबूबा मुफ्ती (PDP प्रमुख) ने इसे “कश्मीरी पंडितों की दशकों की तकलीफों पर एक और चोट” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “पहले आदिवासी समुदाय को निशाना बनाया गया, और अब कश्मीरी पंडितों को। यह उन्हें और अलग-थलग करने का काम करेगा।”
J-K अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा, “अगर विध्वंस जरूरी था तो पहले उनकी आजीविका का इंतजाम किया जाना चाहिए था। इस तरह की कार्रवाई जनता के हितों के खिलाफ है।”
Heartbreaking scenes emerge as Kashmiri Pandit shopkeepers stand helplessly by the rubble of their demolished shops, reportedly brought down by the JDA without prior notice. This comes as yet another blow to a community that has endured unimaginable hardships for decades. What… pic.twitter.com/jyQ1w9yPhB
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2024
बीजेपी प्रवक्ता जी.एल. रैना ने इसे NC-कॉन्ग्रेस गठबंधन सरकार की “बदले की कार्रवाई” बताया। उन्होंने प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक व्यवस्था देने की माँग की।
JDA का कहना है कि मुठी कैंप की यह जमीन अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 208 फ्लैट्स के निर्माण के लिए आवंटित की गई है। हालाँकि, राहत आयुक्त अरविंद करवानी ने आश्वासन दिया कि प्रभावित दुकानदारों के लिए नई दुकानें जल्द बनाई जाएँगी। इन लोगों के लिए 10 दुकानें लगभग तैयार हैं, जो कैंप-2 में हैं। जेडीए ने कहा कि सिर्फ 1-2 लोग दिक्कत पैदा कर रहे हैं।
इस घटना को लेकर बीजेपी ने सीधे तौर पर NC-कॉन्ग्रेस गठबंधन की सरकार पर निशाना साधा। लोगों का मानना है कि सरकार बदलने के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय पर ऐसी कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है। बता दें कि हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कॉन्ग्रेस की सरकार बनी है, जिसका घाटी की तरफ झुकाव ज्यादा रहा है।
Jammu Development Authority (JDA) should not have demolished the temporary shops belonging to Kashmiri Pandit refugees at Muthi Camp, Jammu. These small establishments have been the primary source of livelihood for these poor migrants for over past three decades. If demolition…
— Altaf Bukhari (@SMAltafBukhari) November 21, 2024