नोएडा से दिल्ली कूच कर रहे किसानों का यह आंदोलन सरकार और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- 10% विकसित प्लॉट देने की गारंटी
- नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ सभी प्रभावित किसानों तक पहुँचाने की व्यवस्था।
प्रशासन की तैयारी
- दिल्ली और नोएडा पुलिस ने बॉर्डर पर सुरक्षा सख्त कर दी है।
- मेट्रो के इस्तेमाल की सलाह दी गई है ताकि सड़क यातायात बाधित न हो।
- कुछ किसान नेताओं को नजरबंद किया गया है।
- जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए हैं और पुलिस सतर्क है।
किसानों का रुख
- किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
- ‘दिल्ली चलो’ अभियान के तहत संसद का घेराव करने की तैयारी है।
संभावित असर
- दिल्ली-नोएडा के यातायात पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
- यह आंदोलन नए भूमि अधिग्रहण कानून और किसानों के हक के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
- प्रशासन और किसान नेताओं के बीच संवाद की संभावना अभी भी बनी हुई है, लेकिन सहमति न बन पाने की स्थिति में आंदोलन और तीव्र हो सकता है।
दिल्ली जाने वाले रास्तों पर भारी जाम लग गया है. चिल्ला बॉर्डर पर वाहनों के पहिये थम रह रहे हैं. वहीं, किसान दिल्ली कूच पर अडे हैं. दिल्ली-नोएडा और चिल्ला बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद की गई है. यहां सुबह से ही भारी जाम देखने को मिल रहा है.
#WATCH | Noida, Uttar Pradesh: Traffic congestion seen at Chilla Border as farmers from Uttar Pradesh are on a march towards Delhi starting today. pic.twitter.com/A5G9JuT1KM
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 2, 2024
कल क्या हुआ था?
रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई. ये बैठक यमुना प्राधिकरण के सभागार में करीब 3 घंटे तक चली. हालांकि, वार्ता विफल रही. किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है.