पूर्वी लद्दाख के न्योमा में स्थित भारत का सबसे ऊंचा एयरफील्ड बनकर तैयार हो चुका है. इस एयरफील्ड के बनने से चीन के साथ लगने वाली सीमा पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और कनेक्टिविटी में मजबूती मिलेगी. यह एयरफील्ड LAC से महज 46 किलोमीटर की दूरी पर बनी है. इंडियन एयर फोर्स इसी महीने पूर्वी लद्दाख में नए और एडवांस न्योमा एयरबेस पर अपनी पहली औपचारिक परीक्षण उड़ान भरने वाली है. यह भारत का सबसे ऊंचा रनवे है.
13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस एयरफील्ड की मदद से जरूरत पड़ने पर भारत अपने रक्षा बलों को बहुत कम समय में एलएसी पर एकत्रित कर सकेगा. न्योमा एएलजी से इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक क्षमताओं को मजबूती मिलेगी. इस रनवे पर सबसे भारी सैन्य विमान, फिक्स्ड विंग, रोटरी विंग, लड़ाकू विमान और परिवहन विमान उतर सकेंगे.
न्योमा एयरफील्ड भारत के लिए सामरिक दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है, जो भारतीय वायुसेना और सेना को चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर रणनीतिक बढ़त दिलाने में सहायक है।
न्योमा एयरफील्ड की मुख्य विशेषताएँ:
- स्थिति और सामरिक महत्व:
- यह एयरफील्ड चीन की सीमा से सिर्फ 15 किलोमीटर (हवाई दूरी) और ज़मीनी दूरी में 46 किलोमीटर पर स्थित है।
- लद्दाख के ईस्टर्न सेक्टर में स्थित यह एयरफील्ड भारत का सबसे ऊँचा एयरफील्ड है, जिससे चीन की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा सकती है।
- यह चुशूल, गलवान, और पैंगोंग जैसे विवादित क्षेत्रों के निकट है, जो इसे बेहद रणनीतिक बनाता है।
- लड़ाकू विमान संचालन:
- इस एयरफील्ड से राफेल, तेजस, सुखोई-30 MKI, और मिग-29 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को संचालित किया जा सकता है।
- एयरफील्ड को जंगी ऑपरेशंस के लिए तैयार किया गया है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया और सैन्य अभियानों में तेजी लाई जा सकेगी।
- सीमा सुरक्षा और निगरानी:
- यहां से LAC पर चीनी सेना की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जाएगी।
- यह एयरफील्ड भारत को संकट के समय तेजी से सैनिकों, हथियारों, और अन्य संसाधनों को तैनात करने में मदद करेगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास:
- यह परियोजना वर्ष 2021 में 214 करोड़ रुपये के बजट के साथ स्वीकृत हुई थी।
- अत्यधिक ऊँचाई और कठोर जलवायु परिस्थितियों के बावजूद, इस एयरफील्ड का निर्माण भारत की बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) द्वारा समयबद्ध रूप से किया गया।
- भारत की रणनीतिक बढ़त:
- चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों और लद्दाख क्षेत्र में 2020 की झड़पों के बाद, यह एयरफील्ड भारत के रणनीतिक और सैन्य शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा है।
- यह भारतीय सशस्त्र बलों को तेजी से तैनाती और जवाबी कार्रवाई की क्षमता प्रदान करेगा।
- चीन की चिंता:
- यह परियोजना चीन के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह LAC के करीब भारतीय सैन्य ताकत को मजबूत बनाती है।
- इसके माध्यम से भारत न केवल अपनी सुरक्षा को बढ़ा रहा है, बल्कि क्षेत्र में किसी भी आक्रामकता का तुरंत जवाब देने की क्षमता विकसित कर रहा है।
LAC पर खुद को ताकतवर कर रहा भारत
यह एयरफील्ड इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि चीन पिछले कई सालों से भारत की सीमा के पास हवाई अड्डों का निर्माण कर रहा है. चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के वेस्टर्न थिएटर कमांड के लिए 30 एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं. यही कमांड भारत के साथ जुड़ी सीमा पर निगरानी रखता है. ऐसे में भारत को भी पूर्वी लद्दाख में अपनी सैन्य स्थिति को लगातार अपडेट करने की जरूरत है.
भारत का सबसे ऊंचा रनवे
BRO द्वारा बनाए गए इस रनवे से हैनली, लोमा और न्योमा के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. यहां सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. इस रनवे की आधारशिला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी थी. इसका निर्माण रिकॉर्ड समय में किया है. यह भारत का सबसे ऊंचा रनवे है.
बीआरओ ने आधुनिक तकनीक, आधुनिक मशीनों, कोल्ड सेटिंग कम्पाउंड, कई तरह के एडिटिव्स का उपयोग किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुणवत्तापूर्ण निर्माण किया जाए. ताकि विमानों की हाई स्पीड में लैंडिंग और टेकऑफ़ करने में गुणवत्ता से कोई समझौता न हो.