दिल्ली स्थित जामा मस्जिद का सर्वे कराने की माँग और उससे जुड़े विवाद ने इतिहास और धार्मिक भावनाओं के मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर यह माँग की है, जिसमें कहा गया है कि मुगल शासक औरंगज़ेब ने राजस्थान के जोधपुर और उदयपुर के मंदिरों को तोड़कर उनकी देव प्रतिमाओं को जामा मस्जिद की सीढ़ियों में लगवाया था।
मुख्य बिंदु:
- माँग का आधार:
- यह दावा औरंगज़ेब के दरबारी लेखक साकी मुस्तक खान की पुस्तक मसीर-ए-आलमगीरी पर आधारित है।
- पुस्तक में 1689 में मंदिर तोड़ने और उनकी प्रतिमाओं को दिल्ली भेजने का जिक्र है।
- विष्णु गुप्ता की चिट्ठी:
- गुप्ता ने ASI से जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कराने और देव प्रतिमाओं को पुनः मंदिरों में स्थापित करने की माँग की है।
- उनका तर्क है कि इससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा और ऐतिहासिक तथ्यों की पुष्टि होगी।
- अजमेर दरगाह मामला:
- गुप्ता ने अजमेर स्थित मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को “संकटमोचन महादेव मंदिर” बताते हुए याचिका दायर की थी।
- इस पर कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, ASI, और दरगाह कमिटी को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर तक जवाब माँगा है।
- धमकियाँ और सुरक्षा:
- गुप्ता ने बताया कि उन्हें कनाडा से धमकी भरे कॉल आए हैं, जिनमें “सर तन से जुदा” करने की धमकी दी गई है।
- इस धमकी के बाद उन्होंने सुरक्षा की माँग की है।
प्रभाव और संभावनाएँ:
- ऐतिहासिक विवाद:
यदि ASI सर्वेक्षण की अनुमति देता है, तो यह ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक स्थलों के इतिहास पर नई बहस शुरू कर सकता है। - सामाजिक तनाव:
ऐसे मुद्दों से धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिसे प्रशासन और न्यायालय को संभालने की आवश्यकता होगी। - राजनीतिक आयाम:
इन घटनाओं को लेकर राजनीतिक दलों द्वारा बयानबाजी और मुद्दों का राजनीतिकरण हो सकता है।
आगे की राह:
- न्यायिक प्रक्रिया:
मामले को कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया के तहत सुलझाने की कोशिश की जाएगी। - सरकारी निर्णय:
ASI और अन्य संबंधित विभाग इस पर निर्णय लेंगे कि सर्वेक्षण संभव है या नहीं। - सुरक्षा उपाय:
विष्णु गुप्ता को दी गई धमकियों को देखते हुए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
यह मामला भारतीय इतिहास और धार्मिक भावनाओं के संतुलन का एक और उदाहरण है, जो वर्तमान राजनीति और समाज में गहराई से प्रभाव डालता है।