भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का PSLV-C59 रॉकेट लॉन्च करने का मिशन तकनीकी कारणों से आज स्थगित कर दिया गया है। यह मिशन अब 5 दिसंबर, 2024, को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4:12 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके तहत यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का PROBA-3 मिशन लॉन्च किया जा रहा है।
PROBA-3 मिशन की विशेषताएँ:
- उद्देश्य:
- सूर्य के कोरोना, यानी बाहरी वायुमंडल, का विस्तृत अध्ययन।
- कोरोना के अध्ययन से सौर गतिविधियों और उनके पृथ्वी पर प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी।
- तकनीकी डिजाइन:
- मिशन में दो मुख्य उपग्रह शामिल हैं:
- Occulter (200 किलोग्राम): जो सूर्य के मुख्य प्रकाश को ब्लॉक करेगा।
- Coronagraph (340 किलोग्राम): जो सूर्य के कोरोना की सटीक छवि प्राप्त करेगा।
- दोनों उपग्रहों के बीच 150 मीटर की दूरी रहेगी, जिसे ‘प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ तकनीक द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
- मिशन में दो मुख्य उपग्रह शामिल हैं:
- मिशन अवधि:
- मिशन की अवधि दो वर्ष है।
- पार्टनरशिप और सहयोगी देश:
- यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का प्रोजेक्ट है, जिसमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जरलैंड साझेदार हैं।
- ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का इसमें प्रमुख योगदान है।
- प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग:
- यह तकनीक पहली बार अंतरिक्ष में परीक्षण की जाएगी।
- इसमें दो उपग्रह लगातार एक फिक्स कॉन्फ़िगरेशन बनाए रखते हुए उड़ान भरेंगे, जिससे कोरोना का गहन अध्ययन संभव होगा।
- लागत:
- मिशन की कुल लागत 200 मिलियन यूरो है।
ISRO और PROBA मिशन का इतिहास:
ISRO ने इससे पहले भी PROBA मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं:
- PROBA-1 (2001): पृथ्वी अवलोकन के लिए।
- PROBA-2 (2009): सूर्य और अंतरिक्ष पर्यावरण के अध्ययन के लिए।
दोनों मिशनों ने शानदार सफलता प्राप्त की है, जिससे ESA और ISRO के बीच सहयोग मजबूत हुआ है।
मिशन का महत्व:
- यह मिशन न केवल सूर्य के गहन अध्ययन में मदद करेगा, बल्कि उन्नत अंतरिक्ष तकनीकों, जैसे फॉर्मेशन फ्लाइंग, के परीक्षण और विकास में भी सहायक होगा।
- यह मिशन वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा।
लॉन्च अपडेट्स और सफल प्रक्षेपण के लिए ISRO की आगामी घोषणाओं पर नजर रखी जा रही है।