बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में सुनामगंज जिले के दोराबाजार इलाके में एक हिंदू युवक द्वारा फेसबुक पर की गई कथित पोस्ट के बाद इस्लामी कट्टरपंथियों ने बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया। इस घटना में 130 हिंदू घरों और 20 मंदिरों को तोड़फोड़ कर निशाना बनाया गया।
घटना का विवरण
- पोस्ट का विवाद:
21 वर्षीय आकाश दास ने फेसबुक पर हेफज़ात-ए-इस्लाम के नेता मावलाना मुफ्ती मामुनुल हक की आलोचना की थी। इस पोस्ट को कट्टरपंथियों ने ईशनिंदा करार दिया और हिंसा भड़काई। - हिंसा का विस्तार:
3 दिसंबर की रात, हजारों की संख्या में इकट्ठा भीड़ ने दोराबाजार के हिंदू घरों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया। भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया और आरोपी युवक को छुड़ाने की कोशिश की। - पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया:
- पुलिस ने हिंसा को रोकने के लिए आकाश दास को हिरासत में ले लिया।
- क्षेत्र में भारी पुलिस बल और सेना की तैनाती की गई है।
- स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटा है।
सामाजिक और धार्मिक प्रभाव
- हिंदू समुदाय पर दबाव:
- बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को अक्सर ऐसे हमलों का सामना करना पड़ता है।
- इस घटना ने न केवल समुदाय की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर भी चोट की है।
- सोशल मीडिया और धार्मिक कट्टरता:
- सोशल मीडिया पर की गई पोस्टों को आधार बनाकर हिंसा भड़काने का यह एक और उदाहरण है।
- बांग्लादेश में कट्टरपंथी गुटों का प्रभाव और उनकी सहिष्णुता के अभाव ने ऐसी घटनाओं को बार-बार बढ़ावा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है।
- भारत ने भी पहले ऐसे मामलों में बांग्लादेश सरकार से प्रभावी कार्रवाई की मांग की है।
आगे की राह
- प्रशासनिक सुधार:
बांग्लादेश सरकार को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी होगी और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना होगा। - अल्पसंख्यकों की सुरक्षा:
हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कानून और नीतियां लागू की जानी चाहिए। - सांप्रदायिक सौहार्द:
बांग्लादेश को अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की ओर लौटते हुए कट्टरपंथी ताकतों पर लगाम लगानी होगी।
यह घटना न केवल बांग्लादेश के सामाजिक ताने-बाने को चुनौती देती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को भी प्रभावित करती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
130 Hindu houses & 20 mandirs have been vandalised by Islamist mobs in Doarabazar, Sunamganj, Bangladesh.
The pretext? An alleged blasphemous FB comment
Demonization of ISKCON, arrests of monks, assaults on lawyers, incessant anti-Hindu mob violencepic.twitter.com/uIisRWnND3
— HinduPost (@hindupost) December 4, 2024
इस घटना को लेकर सुनामगंज कस्बे में केंद्रीय लोकनाथ मंदिर के महासचिव खोकन रॉय ने कहा, “भीड़ ने लोकनाथ मंदिर में भी तोड़फोड़ की और 15 लाख टका से अधिक मूल्य के कीमती सामान चुरा लिए। उन्होंने लगभग 100 घरों में भी तोड़फोड़ की। उपजिला पूजा उद्जन परिषद के अध्यक्ष गुरु डे के घर और पारिवारिक मंदिर में तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कई स्वर्ण आभूषण की दुकानों और हिंदुओं की दुकानों में भी लूटपाट की।”
गौरतलब है कि सुनामगंज की इस घटना के बाद हिंदू सवाल कर रहे हैं कि आखिर अगर गलती एक इंसान ने की थी तो उन सबको इसके लिए क्यों भुगतान करना पड़ा? वहीं पुलिस ने इस घटना को लेकर संदेह जताया है कि ये घटना संभवत: सुनियोजित थी।
बता दें कि बीते कुछ दिनों में बांग्लादेश में कई जगह हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं, लेकिन फिर भी बांग्लादेशी मीडिया जगह-जगह ये बता रहा है कि अंतरिम सरकार के आने के बाद हिंदू पूरी तरह सुरक्षित हैं। यूनुस सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने दावा किया कि भारतीय मीडिया बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के बारे में झूठी बातें फैला रहा है जबकि हकीकत में यहाँ ऐसा कुछ नहीं है।
ये बयान उस बीच सामने आए हैं जब चटगाँव में हिंदू मंदिर पर हमला हुआ। इस्कॉन प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार करके उनपर देशद्रोह लगा दिया गया है, वकील रमेन रॉय पर हमला हुआ है। वहीं मीडिया रिपोर्ट दावा करती हैं कि ऐसी स्थिति के कारण हाल ही में वहाँ से 200 से अधिक हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं।