जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट का यह फैसला गो-तस्करी और उससे संबंधित सार्वजनिक व्यवस्था के मामलों में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। अदालत ने गोवंश तस्करी को धार्मिक भावनाओं और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा करार दिया है। न्यायमूर्ति मोक्षा खजूरिया काज़मी ने गोवंश तस्करी के आरोपी शकील मोहम्मद की निवारक हिरासत को न्यायोचित ठहराते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी।
अदालत की मुख्य टिप्पणियाँ:
- धार्मिक भावनाएँ और सार्वजनिक व्यवस्था:
- गोवंशीय पशुओं की तस्करी को एक समुदाय विशेष के लिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला माना गया।
- ऐसी गतिविधियाँ सामुदायिक जीवन की शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती हैं।
- शकील मोहम्मद का आपराधिक इतिहास:
- आरोपी के खिलाफ गो-तस्करी सहित कई गंभीर अपराधों की एफआईआर दर्ज हैं।
- अदालत ने आरोपी को एक आदतन अपराधी और सार्वजनिक जीवन में बाधा पहुंचाने वाला व्यक्ति माना।
- निवारक हिरासत (Preventive Detention):
- अदालत ने निवारक हिरासत को उचित ठहराया, यह मानते हुए कि शकील की गतिविधियाँ क्षेत्रीय शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।
- कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आर. कलावती बनाम तमिलनाडु राज्य (2006) के फैसले का हवाला दिया, जिसमें सामुदायिक जीवन को बाधित करने की क्षमता को हिरासत के लिए पर्याप्त माना गया था।
- प्रक्रियागत सुरक्षा उपाय:
- शकील की मां द्वारा लगाए गए आरोपों (हिरासत प्रक्रिया में गड़बड़ी) को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
- हिरासत का आदेश हिंदी/डोगरी भाषा में पढ़कर सुनाया गया था, जिसे शकील ने समझा।
- सरकार की दलीलें:
- सरकारी वकील ने शकील को कट्टर और असामाजिक तत्व बताते हुए कहा कि उसकी गतिविधियाँ शांतिप्रिय समुदाय में आतंक फैलाती हैं।
फैसले का महत्व:
यह निर्णय धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर न्यायालय के संतुलित दृष्टिकोण को उजागर करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि:
- गोवंश तस्करी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामुदायिक आघात का कारण बन सकती है।
- निवारक हिरासत जैसे कदम ऐसे मामलों में सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
व्यापक संदेश:
यह फैसला प्रशासन और न्यायपालिका को यह संदेश देता है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई केवल अपराध को रोकने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है। यह अन्य राज्यों के लिए भी एक नज़ीर बन सकता है, जहां गो-तस्करी जैसे मुद्दे कानून-व्यवस्था को प्रभावित करते हैं।