राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र विधानसभा का नया स्पीकर चुना गया
- सोमवार, 9 दिसंबर 2024 को उन्हें निर्विरोध चुना गया।
- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की उपस्थिति में चुनाव प्रक्रिया पूरी हुई।
- इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता जैसे चंद्र
- शेखर बावनकुले और चंद्रकांत पाटिल भी मौजूद थे।
महत्वपूर्ण पहलू:
- महाविकास अघाड़ी का हिस्सा (MVA)
- इस बार महाविकास अघाड़ी के किसी विधायक ने स्पीकर पद के लिए पर्चा भी नहीं भरा।
- इसका मतलब है कि MVA का विरोध या कोई निर्णायक चुनौती राहुल नार्वेकर को लेकर सामने नहीं आया।
- महायुति गठबंधन की ताकत
- महायुति गठबंधन (भाजपा और सहयोगी दल) को विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत मिला था।
- इसी बहुमत के चलते सरकार भी गठित हुई और स्पीकर पद पर भी महायुति के ही नेता को चुना गया है।
- स्पीकर पद का महत्व
- स्पीकर हमेशा उसी पार्टी से चुना जाता है जो बहुमत में होती है।
- इसके चुनाव से सरकार की स्थिरता और वैधता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कोलाबा से विधायक हैं राहुल नार्वेकर
राहुल नार्वेकर महाराष्ट्र की कोलाबा विधानसभा सीट से विधायक हैं। यह विधानसभा क्षेत्र मुंबई का हिस्सा है। राहुल इससे पहले शिवसेना का हिस्सा थे, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था और वह एनसीपी में शामिल हो गए थे। हालांकि, एनसीपी के टिकट पर उन्हें मावल सीट से हार झेलनी पड़ी, लेकिन इसके बाद पार्टी के साथ बने रहे। अब उन्हें स्पीकर का अहम पद दिया गया है। प्रोटेम स्पीकर कालीदास कोलंबकर ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा का स्पीकर नियुक्त किया, क्योंकि उनके खिलाफ किसी भी दूसरे नेता ने पर्चा नहीं भरा था। राहुल के पिता भी कोलाबा से नगर निगम पार्षद रहे थे।
पिछले कार्यकाल में भी थे स्पीकर
करीब ढाई साल तक 14वीं विधानसभा के अध्यक्ष रहे भाजपा नेता नार्वेकर 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में मुंबई की कोलाबा विधानसभा सीट से फिर से चुने गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद नई सरकार को सदन में बहुमत साबित करना होगा। इसके बाद राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान नार्वेकर ने फैसला सुनाया था कि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी ‘‘असली शिवसेना’’ है। उन्होंने यह भी फैसला दिया था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है, जिसकी स्थापना शरद पवार ने की थी।
क्या-क्या जिम्मेदारियां होंगी?
14वीं विधानसभा के करीब आधे कार्यकाल के लिए स्पीकर रहे राहुल नार्वेकर निर्विरोध निर्वाचन के बाद अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाहन करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर के हाथों में पूरी विधानसभा के संचालन की जिम्मेदारी होती है। विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल अन्य विधायकों की तरह ही पांच साल का होता है। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का होता है इसलिए वह सदन में किसी भी मुद्दे पर मतदान प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है। यदि सदन में किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच मतभेद है, तो अध्यक्ष को अपना निर्णायक वोट देने का अधिकार है। यदि विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो वह उस अवधि के दौरान अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकते हैं। कई राज्यों में ऐसा होता चुका है। आखिरी बार बिहार में ऐसा हुआ था।
स्पीकर के पास कितनी शक्तियां?
स्पीकर पास किसी सदस्य को निलंबित करने, सदन से निष्कासित करने की शक्ति है। और भी कई अधिकार हैं। विधानसभा अध्यक्ष के भत्ते और वेतन निर्धारित करने की शक्ति उस राज्य की विधानसभा के पास होती है। वेतन राज्य के अनुसार अलग-अलग होता है। स्पीकर को वेतन के अलावा वाहन और रहने की सुविधा भी प्रदान की जाती है। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव विधायकों में से होता है, इसलिए उन्हें विधायकों वाली सभी सुविधाएं दी जाती हैं। अन्य विधायकों की तरह स्पीकर को भी अपने क्षेत्र के विकास के लिए फंड मिलता है।