महाराष्ट्र के कल्याण में स्थित ऐतिहासिक दुर्गाड़ी किले पर जिला एवं सत्र न्यायालय का निर्णय हिंदू समुदाय और शिवसेना के लिए महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने किले के भीतर स्थित मस्जिद और ईदगाह पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं है।
फैसले का महत्व:
- संवेदनशीलता और विवाद:
- दुर्गाड़ी किले में स्थित दुर्गा माता के मंदिर और मस्जिद को लेकर दशकों से विवाद था।
- 1967 में यहाँ पूजा और अन्य धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी, जो शिवसैनिकों के प्रयासों के बावजूद जारी रही।
- कानूनी स्थिति:
- कल्याण म्यूनिसिपल काउंसिल के कब्जे में यह संपत्ति फिलहाल है।
- अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि किले की मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू:
- यह किला देवी दुर्गा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ नवरात्रि के दौरान बड़े पैमाने पर पूजा और मेले का आयोजन होता है।
- शिवसेना लंबे समय से इस स्थान पर हिंदू धार्मिक गतिविधियों की पुनर्बहाली के लिए प्रयासरत थी।
शिवसेना की प्रतिक्रिया:
- शिवसेना ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे हिंदू समुदाय की एकजुटता और देवी दुर्गा के आशीर्वाद का परिणाम बताया।
- शिवसेना नेता दिनेश देशमुख और गोपाल लांडगे समेत अन्य कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना की गई।
- शिवसेना ने इसे न्याय की जीत बताते हुए ट्वीट किया, “दुर्गा माते की जय, शिवसेना जिंदाबाद। जय हिंदुत्व!”
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- दुर्गाड़ी किला एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो मराठा साम्राज्य के दौरान दुर्गा माता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध था।
- 1968 से पहले यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग होता था, लेकिन बाद में विवाद ने इसे एक संवेदनशील मुद्दा बना दिया।
भविष्य का परिदृश्य:
- अदालत के फैसले के बाद किले पर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की पुनर्बहाली के प्रयास तेज हो सकते हैं।
- इस फैसले से अन्य विवादित स्थलों पर भी कानूनी और सांस्कृतिक दावों को बल मिल सकता है।
- प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि फैसले के बाद किसी भी तरह के सांप्रदायिक तनाव को रोका जा सके।
दुर्गाडी किला ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह वह स्थान है जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य के पहले नौसैनिक अभियान की शुरुआत की थी। यह किला हमेशा से हिंदू समुदाय के लिए आस्था का केंद्र रहा है। पिछले 48 वर्षों से दुर्गाडी किले को देवी दुर्गा का मंदिर घोषित करने के लिए शिवसेना और हिंदू संगठनों ने आंदोलन चलाया।
इस संघर्ष की शुरुआत शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने की थी। धर्मवीर आनंद दिघे और वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस आंदोलन को मजबूती दी। शिवसैनिकों ने कई बार दुर्गाडी किले के पास घंटानाद आंदोलन किया और सामूहिक आरती गाई। खासतौर पर नवरात्रि के दौरान इस किले को केंद्र में रखकर भव्य धार्मिक आयोजन किए गए।
दुर्गाडी किले पर आज का फैसला न केवल एक ऐतिहासिक निर्णय है, बल्कि यह हिंदुत्व और मराठा इतिहास के गौरव को भी पुनर्जीवित करता है। शिवसेना और हिंदू संगठनों के प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया कि सत्य को दबाया नहीं जा सकता। अब यह किला न केवल आस्था का केंद्र रहेगा, बल्कि मराठा इतिहास का एक जीवंत स्मारक भी बनेगा।