TRAI का मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम आखिरकार आज से लागू हो गया है। देश के 120 करोड़ मोबाइल यूजर्स को इसका बड़ा फायदा मिलने वाला है। दूरसंचार नियामक ने SMS के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए इस नियम की सिफारिश की थी। पहले इस नियम को 1 नवंबर से लागू किया जाना था, लेकिन टेलीकॉम ऑपरेटर्स की मांग पर TRAI ने इसकी डेडलाइन को एक महीने आगे बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दिया। स्टेकहोल्डर्स की तैयारियां पूरी नहीं होने के बाद इसकी डेडलाइन एक बार फिर से बढ़ाकर 10 दिसंबर तक कर दी थी। आखिरकार आज यानी 11 दिसंबर से यह नियम लागू हो गया है। आइए जानते हैं इस नए नियम का देश के 120 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा?
मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्पैम मैसेज और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाना है। यह नियम विशेष रूप से उन फर्जी मैसेज और कॉल्स को रोकने के लिए बनाया गया है, जो अनवेरिफाइड स्रोतों से आते हैं और लोगों के साथ धोखाधड़ी का कारण बनते हैं।
क्या है मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम?
- सेंडर का पता लगाना:
यह नियम टेलीकॉम कंपनियों को अनिवार्य करता है कि वे किसी भी यूजर के मोबाइल पर आने वाले मैसेज के सेंडर का ट्रेस कर सकें। - फर्जी मैसेज को ब्लॉक करना:
नेटवर्क स्तर पर ऐसे मैसेज को ब्लॉक किया जाएगा जो किसी अनवेरिफाइड सोर्स से आते हैं, या जिनमें URL या APK फाइल का लिंक होता है। - कमर्शियल कॉल्स पर रोक:
बिना वेरिफिकेशन के किए गए कमर्शियल कॉल्स को नेटवर्क पर ही रोका जाएगा।
नियम का उद्देश्य:
- फ्रॉड की रोकथाम:
फर्जी मैसेज और कॉल्स के जरिए होने वाले फ्रॉड को कम करना। - सुरक्षा में सुधार:
टेलीकॉम नेटवर्क की सुरक्षा को मजबूत बनाना और उपयोगकर्ताओं का डेटा सुरक्षित रखना। - स्पैम और धोखाधड़ी पर लगाम:
हैकर्स द्वारा किए जाने वाले धोखाधड़ी के प्रयासों को रोकना।
प्रभाव और लाभ:
- यूजर्स को सुरक्षा:
किसी भी मैसेज की पूरी चेन का पता लगाकर हैकर्स और फ्रॉडsters को पहचानने में आसानी होगी। - अनवांटेड कम्युनिकेशन में कमी:
स्पैम और फर्जी मैसेज या कॉल्स से यूजर्स को राहत मिलेगी। - फ्रॉड के मामलों में कमी:
बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों को रोकने में मदद मिलेगी।
चुनौतियाँ:
- हैकर्स के नए तरीके:
हैकर्स लगातार नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं, जिससे उन्हें ट्रेस करना कठिन हो सकता है। - गोपनीयता का मुद्दा:
इस नियम के लागू होने से यूजर्स की प्राइवेसी पर सवाल उठ सकते हैं, क्योंकि सेंडर की ट्रेसिंग के लिए अतिरिक्त डेटा तक पहुंच की आवश्यकता होगी।
भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के आंकड़े:
हाल ही में आई रिपोर्ट्स के अनुसार:
- भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में 3,000 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
- हर दिन फर्जी मैसेज और कॉल्स के जरिए हजारों लोगों को निशाना बनाया जाता है।
OTP मिलने में होगी देरी?
पिछले दिनों दूरसंचार नियामक ने आधिकारिक तौर पर बताया कि मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम लागू होने की वजह से यूजर के मोबाइल पर आने वाले OTP मिलने में किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। इसे बस एक मिसकम्युनिकेशन बताया है। हालांकि, टेलीकॉम ऑपरेटर्स की ये दलील थी कि भारत के ज्यादातर टेलीमार्केटर्स और बिजनेस एंटीटीज जैसे कि बैंक अभी नए नियम के लिए पूरी तरह से तकनीकी तौर पर तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से इस नियम के लागू होने से बड़े पैमाने पर असर देखने को मिलेगा। इस वजह से नियामक ने चारों टेलीकॉम कंपनियों Jio, Airtel, Vi, BSNL की मांग पर नियम लागू करने में देरी की है।
सूत्रों की मानें तो मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम लागू होने की वजह से 95 प्रतिशत मैसेज बिना किसी देरी के मोबाइल यूजर्स को डिलीवर हो रहे हैं। केवल 5 प्रतिशत ही ऐसे मैसेज हैं, जिन पर इसका असर होगा। हालांकि, आने वाले कुछ दिनों में ये 5 प्रतिशत मैसेज भी यूजर्स को आसानी से डिलीवर होंगे। दूरसंचार नियामक इसको मॉनिटर कर रहा है। मैसेज ट्रेसेबिलिटी लाने का मकसद स्पैम पर रोक लगाना है और यूजर्स तक पहुंचने वाले हर कमर्शियल मैसेज की पूरी चेन के बारे में पता चल सके।
TRAI के मुताबिक, 30 नवंबर तक 27,000 प्रिसिंपल एंटिटी (PE) ने मैसेज ट्रेसेबिलिटी चेन के लिए टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ खुद को रजिस्टर करा लिया है। बांकी के रजिस्ट्रेशन के लिए भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। ट्राई ने इसके बाद का डेटा फिलहाल शेयर नहीं किया है। इंडस्ट्री डेटा के मुताबिक, भारत में डेली 1.5 से लेकर 1.7 बिलियन कमर्शियल मैसेज डेली बेसिस पर करोड़ों यूजर्स को भेजे जाते हैं। नए नियम लागू होने के बाद सिक्योर और रजिस्टर्ड एंटिटी के मैसेज यूजर्स को मिलने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। हालांकि, अनरजिस्टर्ड एंटिटी के मैसेज टेलीकॉम ऑपरेटर्स द्वारा ब्लॉक कर दिए जाएंगे।