उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के बाद पुलिस ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। इस घटना में पुलिस अब तक 41 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, और हिंसा में शामिल 450 पत्थरबाजों को चिन्हित किया गया है। CCTV फुटेज, मोबाइल वीडियो और अन्य माध्यमों की मदद से इनकी पहचान की जा रही है।
अब तक की कार्रवाई:
- गिरफ्तारी और पहचान:
- पुलिस ने अब तक 41 दंगाइयों को गिरफ्तार किया है।
- लगभग 450 उपद्रवियों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 100 के नाम पुलिस को ज्ञात हो चुके हैं।
- हाल ही में पुलिस ने 50 और दंगाइयों की पहचान की है।
- नकाब के कारण चुनौतियाँ:
- दंगाइयों ने हिंसा के दौरान नकाब पहन रखा था, जिससे उनकी पहचान में कठिनाई आ रही है।
- बावजूद इसके, पुलिस साक्ष्यों का विश्लेषण कर रही है।
- पत्रकार की गिरफ्तारी:
- हिंसा के सिलसिले में एक पत्रकार को भी गिरफ्तार किया गया है।
- उस पर दंगाइयों को उकसाने और हिंसा में भूमिका निभाने का आरोप है। पुलिस को इस बारे में अहम जानकारी मिली है।
पुलिस की रणनीति:
- CCTV और डिजिटल सबूतों का उपयोग:
दंगाइयों की पहचान और उनकी लोकेशन का पता लगाने के लिए पुलिस लगातार वीडियो फुटेज और डिजिटल तकनीक का सहारा ले रही है। - फास्ट-ट्रैक जांच:
हिंसा से जुड़े मामलों की त्वरित जाँच और आरोपियों के खिलाफ मजबूत कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
संभल हिंसा का कारण:
हालांकि इस हिंसा के पीछे के सटीक कारणों की जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह विवाद धार्मिक या सामुदायिक तनाव से जुड़ा हो सकता है।
आगे की कार्रवाई:
- पुलिस की टीमें दंगाइयों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही हैं।
- जिन उपद्रवियों की पहचान हो चुकी है, उनके खिलाफ एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने की तैयारी की जा रही है।
- क्षति की भरपाई:
हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले आरोपियों से वसूली के लिए कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं।
संभल हिंसा को लेकर प्रशासन पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है। कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने और उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस का यह रवैया एक स्पष्ट संदेश है कि हिंसा के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
पहले दी पुलिस को धमकी, फिर माफ़ी
संभल पुलिस ने 6 दिसंबर, 2024 को एक फर्जी पत्रकार असीम रज़ा जैदी को गिरफ्तार किया था। असीम जैदी हिंसा के बाद भड़काऊ वीडियो शेयर कर रहा था। उसने मुस्लिमों को इकट्ठा किया था और उन्हें उकसा रहा था। इस संबंध में सूचना संभल पुलिस को दी गई थी।
उसको रोकने के लिए जब पुलिस पहुँची तो वह धमकाने पर उतर आया। उसने सब इंस्पेक्टर संजीव को तक धमकी दे डाली। असीम जैदी ने सब इंस्पेक्टर जैदी से कहा, “मुझे जानते नहीं हो। मैं पत्रकार हूँ। अपनी एक खबर से तुमको बर्खास्त करवा दूँगा।” असीम ने ऊपर के अधिकारियों से भी दारोगा की शिकायत की धौंस दी। इसके बाद असीम को गिरफ्तार कर लिया गया।
असीम के खिलाफ इसके बाद पुलिस ने ही FIR दर्ज की। पुलिसकर्मियों ने इसके बाद असीम जैदी के दावों का सत्यापन भी करवाया कि आखिर वह कहाँ का पत्रकार है। जब असीम के बताए संस्थान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह उनका कर्मचारी नहीं है।
पोल-पट्टी खुल जाने के बाद असीम जैदी पुलिस के आगे गिड़गिड़ा कर माफ़ी माँगने लगा। उसने यह भी माना कि वह पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा कर धंधा चला रहा था। असीम रजा के ऊपर अब फर्जीवाड़े समेत बाकी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
संवेदनशील इलाकों में हो रही घरों की तलाशी
संभल हिंसा के बाद पुलिस सतर्क को गई है। पुलिस की टीमें संवेदनशील मोहल्ले में चिन्हित किए गए घरों की तलाशी ले रहीं हैं। इसी तलाशी के दौरान सोमवार (10 दिसम्बर, 2024) को कई घरों से नशे की खेप और अवैध हथियार बरामद हुए थे।
तलाशी का यह अभियान नखासा के उस इलाके में चलाया गया था जहाँ सांसद जियाउर्रहमान बर्क का घर है। इसी कार्रवाई में मुल्ला आसिफ, महबर और ताजवर के परिजनों को पूछताछ के लिए थाने में तलब किया गया था। गौरतलब है कि 24 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुँची टीम पर अल्लाह हू अकबर चिल्लाती मुस्लिम भीड़ ने हमला बोल दिया था। इस हमले में लगभग 2 दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। घायलों में डिप्टी कलेक्टर और DSP भी शामिल हैं।