भारत के डी गुकेश महज 18 साल में ही शतरंज की दुनिया के नए बादशाह बन गए हैं। उन्होंने चैंपियन का ताज पहनने के लिए वर्ल्ड चैंपियन चीनी खिलाड़ी डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराया। आखिरी बाजी एक समय ड्रा के लिए बढ़ रही थी, तभी डिंग लिरेन ने ऐसी गलती कर दी, जो शायद ही कोई बड़ा खिलाड़ी करता। उनकी इस गलती पर तुरंत ही डी गुकेश ने शिकंजा कस लिया और उन्हें हार के लिए मजबूर कर दिया। इसी के साथ डी गुकेश शतरंज की दुनिया के 18वें बादशाह बन गए। वो सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन हैं और विश्वनाथन आनंद के बाद चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी भी।
The emotional moment that 18-year-old Gukesh Dommaraju became the 18th world chess champion 🥲🏆 pic.twitter.com/jRIZrYeyCF
— Chess.com (@chesscom) December 12, 2024
बेहद कड़े मुकाबले में मिली जीत
डी गुकेश और डिंग लिरेन के बीच चैंपियन बनने की जंग 17 दिनों से चल रही थी, जो 14वें राउंड पर जाकर थमी। 13 राउंड तक दोनों खिलाड़ी 6.5-6.5 से बराबर थे, जिसमें दोनों ही खिलाड़ियों ने 2-2 राउंड जीते थे, तो बाकी के 9 मुकाबले ड्रॉ रहे थे। लिरेन ने पहली बाजी जीत कर बढ़त बनाई थी, तो गुकेश ने तीसरी बाजी में जीत हासिल की। 11वी बाजी गुकेश ने जीतकर बढ़त बनाई तो 12वीं बाजी में लिरेन ने जीत दर्ज कर बराबरी पाई और फिर 14वीं और आखिरी बाजी में गुकेश ने जीत दर्ज की। आखिरी बाजी 4 घंटे और 58 चालों तक चली, जो क्लासिकल शतरंज की मिसाल कहा जाएगा। हालाँकि आखिर में लिरेन ने घोड़ों को बदलने की जो गलती की, उसके बाद की तीसरी ही चाल में गुकेश ने उन्हें पराजय झेलने को मजबूर कर दिया।
11 साल की उम्र में देखा सपना, 18 में कर लिया पूरा
डी गुकेश ने महज 11 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा और 7 साल में ही पूरा भी कर लिया। दरअसल, 11 साल की उम्र में उन्होंने सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का सपना देखा था। गुकेश जब सिर्फ 11 साल 6 महीने के थे, तब चेस बेस इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो बड़े होकर सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहेंगे। उन्होंने इसे सच साबित कर दिया है।
Youngest World Chess Champion 🏆
Manifestation tends to history in the books 🥹
GUKESH DOMMARAJU 👑#GukeshDing #WorldChessChampion #Chess #India pic.twitter.com/xOslWoaFmV
— RooP (@Roop_25ms) December 12, 2024
शतरंज विवादों का भी रहा है खेल
बता दें कि FIDE शतरंज चैंपियनशिप का आयोजन कराता है। कभी चैंपियनशिप को लेकर विवाद भी हुए थे। एक समय ऐसा भी था, जब 2 खिलाड़ी खुद को विश्व चैंपियन बताते थे। हालाँकि 2006 से ये विवाद किसी तरह खत्म हुए हैं। ये वही दौर था, जब क्रामनिक खुद को क्लासिक चैंपियन बताते थे। फिडे की लड़ाई के समय वो खुद को क्लासिकल चैंपियन बताते थे, यूनिफिकेशन के बाद उन्हें साल 2007 में विश्वनाथन आंनद ने हराया। एक भारतीय से लगातार हार का बदला अब वो डी-गुकेश पर उंगली उठाकर ले रहे हैं।