उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा संस्थागत चुनौतियों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर दिया गया बयान भारतीय लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति और उसकी आवश्यकताओं की गहरी समझ को दर्शाता है। उनके विचार न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने की ओर इशारा करते हैं, बल्कि संवाद और अभिव्यक्ति के महत्व को भी रेखांकित करते हैं।
उपराष्ट्रपति के मुख्य विचार:
- संस्थागत चुनौतियां:
- वर्तमान समय में संस्थानों को अधिक जटिल और तीव्र चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- इन चुनौतियों का मुख्य कारण सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति के स्तर में गिरावट है।
- अभिव्यक्ति और संवाद का महत्व:
- अभिव्यक्ति और सार्थक संवाद को उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र के “अनमोल रत्न” बताया।
- उन्होंने जोर दिया कि ये दोनों तत्व एक-दूसरे के पूरक हैं और उनके बीच सामंजस्य लोकतांत्रिक जीवन शक्ति के लिए आवश्यक है।
- लोकतंत्र और मूल्यों का पालन:
- लोकतंत्र केवल संस्थागत प्रक्रियाओं से नहीं चलता, बल्कि यह उन मूल्यों और आदर्शों के पालन से फलता-फूलता है जो इसे जीवंत बनाए रखते हैं।
- उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति और संवाद लोकतांत्रिक ऊर्जा और उसकी कार्यक्षमता को परिभाषित करते हैं।
- भारत की लोकतांत्रिक यात्रा:
- उपराष्ट्रपति ने भारत की विविधता और विशाल जनसांख्यिकी को राष्ट्रीय प्रगति का एक प्रमुख कारक बताया।
- उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में इन कारकों का समुचित उपयोग देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
संदेश का महत्व:
- संवाद की गुणवत्ता पर ध्यान: उपराष्ट्रपति ने वर्तमान समय में संवाद और अभिव्यक्ति की गिरती गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की। उनका यह बयान राजनीतिक और सामाजिक संवाद को और अधिक सार्थक बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है।
- लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों की याद दिलाना:
- लोकतंत्र केवल चुनावी प्रक्रियाओं या संस्थागत ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन मूल्यों और संवादों पर आधारित है जो समाज को जोड़ते हैं।
- उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र की इस व्यापक परिभाषा पर ध्यान केंद्रित किया।
- विविधता और सामंजस्य:
- भारत की विविधता और विशाल जनसंख्या को उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र की ताकत के रूप में देखा, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इसके लिए सामंजस्यपूर्ण संवाद और समावेशिता आवश्यक है।
मुख्य अतिथि के तौर पर किया संबोधित
नई दिल्ली में आईसीडब्ल्यूए में आईपी एंड टीएएफएस के 50वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारे अंदर अहंकार गहरा गया है. हमें अपने अहंकार को नियंत्रित करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी. अहंकार केवल नुकसान देता है.उपराष्ट्रपति ने इस दौरान लेखा परीक्षा, स्व-लेखा परीक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अगर आप जांच से परे हैं तो आपका पतन निश्चित है. इसलिए स्व-लेखा परीक्षा स्वयं से परे लेखा परीक्षा जरूरी है.
Service remains our cornerstone.
Your role as administrators, financial advisors, regulators and auditors must evolve to meet tomorrow's challenges.
This demands that we transform service delivery from traditional methods to cutting-edge solutions.
We are at the cusp of no… pic.twitter.com/zydRjy3v9g
— Vice-President of India (@VPIndia) December 14, 2024
सेवा हमारी आधारशिला – धनखड़
सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सेवा हमारी आधारशिला बनी हुई है. प्रशासक, वित्तीय सलाहकार, विनियामक और लेखा परीक्षक के रूप में आपकी भूमिकाएं कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए विकसित होनी चाहिए. उन्होंने कहा- हम एक और औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर खड़े हैं. डिजिटल तकनीक ने हम पर आक्रमण कर दिया है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और इसी तरह की दूसरी तकनीकें चुनौतियां और अवसर दोनों पेश करती हैं.
डिजिटल डिवाइड को पाटने पर ध्यान दें
अब हमें चुनौतियों का सामना करना होगा, चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा. राष्ट्र निर्माण का हमारा विशेषाधिकार अब और अधिक ज़िम्मेदारी वहन करता है क्योंकि हमें 2047 में एक विकसित राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए पटकथा और शिल्प भी बनाना है. सिविल सेवकों से धनखड़ ने ये भी कहा कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने पर ध्यान केंद्रित करें. भारत में आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है. दुनिया में किसी भी देश के लिए यह ईर्ष्या का विषय है.
इस अवसर पर संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, डिजिटल संचार आयोग के वित्त सदस्य मनीष सिन्हा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.