भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधियों की यह वार्ता दोनों देशों के संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के एक अहम कदम के रूप में देखी जा रही है। अजीत डोभाल और वांग यी के बीच हुई इस बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने, पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को समाप्त करने, और सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान जैसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा की गई।
वार्ता के प्रमुख बिंदु:
- पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी:
- दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को हुए समझौते पर आगे बढ़ने और चरणबद्ध तरीके से सैनिकों की वापसी के रोडमैप पर चर्चा की।
- गश्त के नए प्रोटोकॉल पर भी सहमति बनने की उम्मीद है।
- सीमा विवाद:
- वार्ता का मुख्य उद्देश्य विवादित सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना है।
- दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में कोई नया गतिरोध न हो।
- द्विपक्षीय संबंधों का पुनर्निर्माण:
- आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- 2019 में पिछली बैठक के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी, जिसे अब पुनः स्थिर करने की कोशिश हो रही है।
- आत्मनिर्भरता और रणनीतिक साझेदारी:
- वार्ता के दौरान दोनों देशों ने आपसी विश्वास बढ़ाने और वैश्विक मंच पर सहयोग के नए अवसर तलाशने की इच्छा जताई।
वार्ता का महत्व:
- यह वार्ता पांच साल के अंतराल के बाद हो रही है, जब दोनों देशों के बीच के संबंध ऐतिहासिक रूप से सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं।
- सीमा पर तनाव के चलते 2020 के बाद से द्विपक्षीय व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और उच्चस्तरीय संपर्क बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
- यदि इस वार्ता में सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, तो यह न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए, बल्कि एशिया में स्थिरता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
हालांकि, भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि संबंधों को तभी बहाल किया जा सकता है जब सीमा पर शांति सुनिश्चित हो। अब देखना यह होगा कि इस वार्ता के बाद दोनों देशों के संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
भारत-चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करती है. इसे दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा भी कहा जाता है. ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बांटा गया है. लद्दाख वेस्टर्न सेक्टर में आता है.
भारत और चीन के बीच कोई आधिकारिक सीमा नहीं है और इसकी वजह चीन ही है और इसी वजह से विवाद का कोई हल नहीं निकल पाता. चीन, अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर दावा करता है और उसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. इसी तरह से 2 मार्च 1963 को हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर की 5,180 वर्ग किमी जमीन चीन को दे दी थी. जबकि, लद्दाख के 38 हजार वर्ग किमी इलाके पर चीन का अवैध कब्जा पहले से ही है. कुल मिलाकर 43,180 वर्ग किमी जमीन पर अभी भी विवाद है.
पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद सुधरने लगे संबंध
चीन ने इस महत्वपूर्ण वार्ता से पहले मंगलवार को कहा कि वह 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर रूस के कजान में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन मतभेदों को सुलझाने के लिए तैयार है।