उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक शिव मंदिर मिला है। ये शिव मंदिर 1970 में बना था, लेकिन कभी हिंदू बाहुल्य रहे इस इलाके में मुस्लिमों की संख्या बढ़ती गई और हिंदुओं को पलायन करना पड़ा और मंदिर पूरी तरह से खहंडर बन गया। अब फिर से इस शिव मंदिर पर प्रशासन की नजर पड़ी है। वहीं, संभल में एक और प्राचीन कुआँ मिला है, जिसकी खुदाई शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि ये कुआँ भी पौराणिक महत्व का है।
मुजफ्फरनगर के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में स्थित इस शिव मंदिर की स्थिति, हिंदू परिवारों के पलायन और सांप्रदायिक परिस्थितियों के कारणों पर ध्यान आकर्षित करती है। यह मामला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सामुदायिक संतुलन को भी प्रभावित करता है।
प्रमुख बिंदु:
- मंदिर का इतिहास:
- शिव मंदिर की स्थापना 1970 में हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में हुई थी।
- नियमित पूजा-अर्चना होती थी, और यह मंदिर क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का केंद्र था।
- परिवर्तन के कारण:
- 1990 के दशक में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के दौरान सांप्रदायिक तनाव बढ़ा।
- मुस्लिम आबादी के बढ़ने और मीट की दुकानों जैसे सांस्कृतिक बदलावों ने मोहल्ले का माहौल बदला।
- इसके कारण हिंदू परिवारों ने पलायन कर लिया और मंदिर की मूर्तियाँ हटा दी गईं।
- वर्तमान स्थिति:
- मंदिर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।
- आसपास के लोगों ने मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, जिसमें छज्जे और पार्किंग का निर्माण शामिल है।
- भाजपा नेता का बयान:
- सुधीर खटीक ने मंदिर की पुनर्स्थापना और धर्मस्थलों की सुरक्षा की मांग की।
- उनका कहना है कि धर्म और संस्कृति की सुरक्षा राष्ट्र की सुरक्षा का आधार है।
संभावित समाधान:
- सरकारी हस्तक्षेप:
- उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर की जमीन का पुनर्मूल्यांकन कर सकती है और अतिक्रमण हटाने के लिए कदम उठा सकती है।
- मंदिर की पुनर्स्थापना के लिए धार्मिक संगठनों और समुदायों को साथ लाया जा सकता है।
- सांप्रदायिक सौहार्द्र:
- इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने और दोनों समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा:
- स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण न हो और उनकी गरिमा बनी रहे।
यह मुद्दा धार्मिक और सांप्रदायिक संवेदनशीलता से जुड़ा है, इसलिए इसे संभालने में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसी स्थितियों को सुधारने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
संभल में प्राचीन कुओं की खोज जारी, एक और कुआँ मिला
संभल जिले में हाल ही में एक और प्राचीन कुआँ मिला है। जामा मस्जिद के पास मोहल्ला टंकी में मिले इस कुएँ के साथ ही अब तक संभल जिले में आधा दर्जन से अधिक प्राचीन कुओं की खुदाई हो चुकी है। स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका प्राचीन जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने और उनके सौंदर्यीकरण पर काम कर रहे हैं।
संभल नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी डॉ. मणिभूषण तिवारी ने बताया कि ये कुएँ जल संरक्षण और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। अब तक 10 फीट तक खुदाई की जा चुकी है। उनका कहना है कि इन जल स्त्रोतों को रिचार्ज करने और धार्मिक कार्यक्रमों के पुनः आयोजन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
शहर की ऐतिहासिक पहचान के अनुसार, संभल में 52 सराय, 68 तीर्थ, और 19 कूप (कुएँ) हुआ करते थे। इनकी खोज और पुनर्स्थापना से क्षेत्र की धरोहर को नया जीवन मिलेगा। यह पहल ‘कैच द रेन’ और जल संरक्षण अभियानों के तहत चल रही है।
मुजफ्फरनगर के शिव मंदिर और संभल के प्राचीन कुओं की कहानी उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की दुर्दशा को सामने लाती है।