कालागढ़ के रामगंगा जल विद्युत परियोजना से जुड़ी भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने की प्रक्रिया ने एक बार फिर गति पकड़ ली है। यह मामला उत्तराखंड के पौड़ी जिले में वन विभाग और सिंचाई विभाग की लीज भूमि से जुड़े विवाद से संबंधित है, जिसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही निर्देशित किया जा चुका है।
मामले की पृष्ठभूमि:
- परियोजना के लिए भूमि आवंटन:
- रामगंगा जल विद्युत परियोजना के लिए कालागढ़ कस्बे में वन भूमि सिंचाई विभाग को लीज पर दी गई थी।
- यह भूमि परियोजना में काम करने वाले श्रमिकों के आवासीय और अन्य उपयोगों के लिए अस्थायी रूप से उपयोग में लाई गई थी।
- परियोजना पूर्ण होने के बाद विवाद:
- परियोजना के पूरा होने के बाद, लीज समाप्त हो गई।
- सुप्रीम कोर्ट और NGT ने इस भूमि को वन विभाग को लौटाने का निर्देश दिया।
- 2018 में आधी भूमि खाली करा ली गई, लेकिन शेष भूमि पर अवैध कब्जे बने रहे।
- वर्तमान स्थिति:
- भूमि पर यूपी के लोगों का अवैध कब्जा बना हुआ है।
- सुप्रीम कोर्ट और NGT ने प्रशासन से जवाब तलब किया है कि शेष भूमि अब तक खाली क्यों नहीं हुई।
प्रशासन की कार्यवाही:
- कार्रवाई की तैयारी:
- पौड़ी जिला प्रशासन ने 24 जनवरी से 72 खाली भवनों को ध्वस्त करने और भूमि वन विभाग को सौंपने की योजना बनाई है।
- शेष भूमि को चरणबद्ध तरीके से खाली कराने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
- राजनीतिक दबाव निष्प्रभावी:
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों के चलते राजनीतिक हस्तक्षेप असफल हो रहा है।
- 2018 के बाद कार्रवाई में देरी पर भी NGT ने प्रशासन से जवाब मांगा है।
- अगली प्रक्रिया:
- खाली की गई भूमि पर वन विभाग का कब्जा सुनिश्चित करने के बाद NGT में जवाब दाखिल किया जाएगा।
- शेष भवनों और कब्जों को हटाने के लिए भी रणनीति तैयार की जा रही है।
महत्वपूर्ण पहलू:
- पर्यावरणीय संरक्षण:
यह भूमि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आती है, जो एक संरक्षित वन क्षेत्र है। इसे खाली कराना पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए आवश्यक है। - कानूनी अनिवार्यता:
सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों का पालन प्रशासन के लिए अनिवार्य है।
टाइगर रिजर्व जोन में बना दी मस्जिद
खास बात ये है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ वन प्रभाग की बफर जोन की भूमि पर अवैध रूप से बसे कब्जेदारों ने एक मस्जिद का निर्माण भी अवैध रूप से किया हुआ और इस मस्जिद के निर्माण को और आगे विस्तार देने के लिए सोशल मीडिया पर प्रचार करके चंदा जुटाने का आह्वान भी किया जा रहा है। इस मस्जिद को टीन मस्जिद के नाम से प्रचारित किया जा रहा है। कालागढ़ टाइगर रिजर्व का अतिक्रमण भी इस लिए नहीं हटाया गया कि यहां बिजनौर धामपुर के लोगों ने कब्जा किया हुआ है और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ने इसे संरक्षण दिया, कांग्रेस के नेता यहां कालागढ़ में अपनी राजनीति करते रहे हैं और यहां अवैध रूप से काबिज लोगों को संरक्षण देते रहे हैं।
कालागढ़ में अवैध कब्जे रामगंगा जल विद्युत परियोजना के खत्म हो जाने के बाद लीज पर प्रोजेक्ट के लिए दी गई वन विभाग यानि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिविजन को वापिस होनी थी ऐसा सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का भी आदेश था, कॉर्बेट कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रशासन ने बहुत सारी जमीन वापिस भी ली, लेकिन आज भी यहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर लोगों के अवैध कब्जे हैं जबकि, यहां से कोई कारोबार नहीं होता और यहां ज्यादातर लोग वन सम्पदा की तस्करी में लिप्त बताए जाते हैं, ये भी जानकारी मिली है कि यूपी से अपराधी किस्म के लोग यहां उत्तराखंड की सीमा में आकर पनाह लेते हैं।
कालागढ़ क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल का हिस्सा है और इसके एक तरफ नैनीताल जिला है दूसरी ओर यूपी के बिजनौर जिले का अफजल गढ़ क्षेत्र आता है। इनमें बहुत से कब्जेदार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अफजलगढ़,बिजनौर में भी अपने मकान बना लिए है किंतु यहां भी कब्जे कर अवैध रूप से बैठे हुए है। ये भी जानकारी मिली है कि इनके उत्तराखंड में भी वोट है और यूपी में भी वोट है। इस बारे में भी पौड़ी जिला प्रशासन ने ड्राइव चलाई हुई है।