इंग्लैंड का कानून इस्लामी कट्टरपंथ के आगे घुटने टेक रहा है। कभी दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज करने वाला इंग्लैंड अब मुस्लिम कट्टरपंथियों के नतमस्तक है। जिस इंग्लैंड ने ‘कानून का राज’ की अवधारणा दी थी, उस देश में अब इस्लामी अदालतें चल रही हैं। ब्रिटेन में दशकों से आदर्शवादी और लिबरल बनने के चक्कर में कट्टरपंथ पर मुंह बंद रखा गया था।
इस्लामी कट्टरपंथ के पैर पसारने को लेकर अगर कोई बोलता है तो उसे इस्लामोफोब करार दिया जाता है। इस्लाम पर इस चुप्पी का सबसे ज्वलंत उदाहरण ग्रूमिंग गैंग रहे हैं, जिन्होंने हजारों ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बनाया। यह निशाना बनाने वाले मुस्लिम थे और उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अब शरिया अदालतें खुल्लम-खुल्ला ब्रिटिश कानूनों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। ‘शरिया कोर्ट’ के नाम पर चलाई जा रहीं यह अदालतें ब्रिटेन 4 निकाह जैसी सामजिक कुरीतियों को बढ़ावा दे रही हैं। इन अदालतों पर ब्रिटिश सरकार अंकुश नहीं लगा पा रही है। यह अदालतें अवैध निकाह भी करवा रही हैं जिनका कानूनन कोई रिकॉर्ड नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड में वर्तमान में 85 ऐसी शरिया अदालतें चल रही हैं। मुस्लिमों के मसलों से निपटने के लिए बनाई गई यह शरिया अदालतें पूरे इंग्लैंड में फैली हुई हैं। यह अदालतें निकाह, तलाक, खुला और चार निकाह जैसे मामलों पर फैसले दे रही हैं। यह अदालतें ब्रिटिश कानून के खिलाफ जाकर तमाम फैसले देती हैं।
रिपोर्ट बताती है कि ऐसी पहली शरिया अदालत इंग्लैंड में लंदन में 1982 में खोली गई थी। तब से यह लगातार बढ़ रही हैं। इनमें से एक अदालत ने एक ऐसे एप को मंजूरी दे रखी थी जो मुस्लिम पुरुषों से उनकी बीवियों की संख्या पूछता था। इसके अलावा इंग्लैंड में चलने वाले एक और एप में भी मुस्लिम युवा निकाह के बाद कितनी बीवियाँ रखेंगे, इसकी जानकारी भर सकते हैं।
गौरतलब है कि ब्रिटिश कानून के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक शादी/निकाह नहीं कर सकता। ऐसा करने के लिए तलाक और उसका कानूनी आदेश जरूरी है। हालाँकि, यहः शरियाई अदालतें इन सब बातों को नहीं मानती हैं और धड़ल्ले से इन सब कामों में मशगूल हैं।
इन शरिया अदालतों ने लगभग 100000 ऐसे निकाह करवाए हुए हैं, जिनका ब्रिटिश कानून में कोई पंजीकरण नहीं हुआ है। इंग्लैंड के भीतर शरिया अदालतों की धाक इतनी बढ़ गई है कि अब यूरोप के बाकी देशों और अमेरिका से मुस्लिम यहाँ अपने इस्लामी मसले लेकर पहुँच रहे हैं।
यह अदालतें चार निकाह को बढ़ावा दे रही हैं लेकिन ब्रिटिश एजेंसियाँ इनके आगे लाचार हैं। लगातार मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे रहने वाले ब्रिटिश नेताओं ने इस मसले पर आँखे मूँद ली हैं। इसी के चलते इंग्लैंड अब शरिया कोर्ट के पश्चिमी देशों का प्रमुख केंद्र है।
इंग्लैंड में इन शरिया अदालतों को लेकर धर्मनिरपेक्षता को लेकर काम करने वाले संगठन विरोध कर रहे हैं। इंग्लैंड के ऐसे ही एक संगठन नेशनल सेक्युलर सोसायटी ने माँग की है कि ब्रिटेन में चल रही इस समानांतर कानून व्यवस्था पर नकेल कसी जाए। उन्होंने कहा है कि इससे महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है। हालाँकि, सरकार इस मामले पर शांत है।
ब्रिटेन में इस्लामी कट्टरपंथ पर सरकार और लिबरल समाज का चुप रहना कोई विचित्र बात नहीं है। ग्रूमिंग गैंग के हाथों जब हजारों ब्रिटिश लड़कियाँ शिकार बन गईं तो एक टास्क फ़ोर्स बनाई गई। लेकिन इसी के साथ अब ब्रिटेन में इस्लामी कानून नाफ़िज करने की तैयारी है। ब्रिटिश सरकार ने इस दौरान शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धँसा ली है।
ब्रिटिश सरकार इस पूरे इस्लामी कट्टरपंथ के तंत्र पर प्रहार नहीं करना चाहती। उसे लगता है कि इससे उसकी कथित उदार छवि पर असर पड़ेगा, जबकि सच्चाई यह है कि इसी का फायदा उठा कर इस्लामी कट्टरपंथी अपनी धाक इंग्लैंड में जमा रहे हैं। वह हिन्दुओं पर हमला करते हैं, महिलाओं को छेड़ते हैं यहाँ तक कि इंग्लैंड में धमाके भी हो चुके हैं।
इंग्लैंड में इस्लामी कट्टरपंथ और शरिया अदालतों के प्रभाव पर आधारित हैं, जो पश्चिमी देशों में बहस का एक अहम विषय बन चुका है। इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु और संभावित विश्लेषण इस प्रकार हैं:
1. शरिया अदालतों का उदय और प्रभाव:
ब्रिटेन में शरिया अदालतें कई वर्षों से सक्रिय हैं और इनके कार्यक्षेत्र में मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के व्यक्तिगत और पारिवारिक विवाद शामिल होते हैं, जैसे निकाह, तलाक, और संपत्ति का बंटवारा।
- आलोचना:
- इन अदालतों पर आरोप है कि वे ब्रिटिश कानूनों के विपरीत जाकर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।
- अवैध निकाह और बहुविवाह जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने के आरोप भी लगाए जाते हैं।
- समर्थन:
- इनके समर्थक तर्क देते हैं कि ये अदालतें मुस्लिम समुदाय को सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखने में मदद करती हैं।
2. ग्रूमिंग गैंग का विवाद:
ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग के मामलों ने कानून और समाज पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
- ग्रूमिंग गैंग की घटनाओं में हजारों नाबालिग लड़कियों को यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया।
- इन मामलों को लेकर ब्रिटिश प्रशासन और पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने सांस्कृतिक संवेदनशीलता और “इस्लामोफोबिया” के डर से कार्रवाई करने में देरी की।
3. ब्रिटिश समाज और कानून के सामने चुनौतियां:
- बहुसंस्कृतिवाद:
- ब्रिटेन का बहुसंस्कृतिवाद नीति लंबे समय तक विविधता को अपनाने पर केंद्रित रही है। लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू यह है कि कुछ समुदायों ने इसे कानून और सामाजिक मूल्यों से अलग रहने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया है।
- समानता और अधिकार:
- शरिया अदालतों के फैसले कई बार ब्रिटेन के मानवाधिकार कानूनों और लैंगिक समानता के सिद्धांतों के खिलाफ पाए गए हैं।
4. आवश्यक सुधार:
- ब्रिटिश सरकार को समान नागरिक कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
- सभी धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को ब्रिटिश कानून के दायरे में लाना चाहिए।
- “ग्रूमिंग गैंग” जैसे मामलों में पारदर्शी और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।
5. इस्लामोफोबिया और समाज में ध्रुवीकरण:
- किसी धर्म विशेष के खिलाफ पूर्वाग्रह गलत है, लेकिन कट्टरपंथ को सामाजिक और कानूनी आधार पर चुनौती देना आवश्यक है।
- समावेशी समाज बनाने के लिए हर धर्म और समुदाय को समान नियमों का पालन करना होगा।