उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूसीसी किसी विशेष धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य प्रदेश की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखना है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता पर काम करना शुरू किया है और इसे जनवरी 2025 तक लागू करने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने दून विश्वविद्यालय के डा. नित्यानंद आडिटोरियम में आयोजित “गंगधारा- विचारों का अविरल प्रवाह” व्याख्यान माला के उद्घाटन समारोह में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के कई प्रावधानों का सरलीकरण किया जा रहा है और इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल प्रारूप भी तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार सशक्त भू-कानून लागू करने के प्रति पूरी तरह संकल्पित है। उन्होंने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को तेज करने का उल्लेख किया और बताया कि उत्तराखंड में सख्त धर्मांतरण कानून, दंगारोधी कानून और नकल विरोधी कानून भी लागू किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे गंगा का प्रवाह निरंतर जारी रहता है, वैसे ही हमारे विचारों का प्रवाह भी जीवन में प्रगति और बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने राज्य के सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में बताया कि उत्तराखंड देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान पलायन, शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण और हिमालयी क्षेत्रों की धारण क्षमता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ मुख्य वक्ता जूनापीठाघीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे। उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर व्याख्यान माला की शुरुआत की।