पीलीभीत में खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा दी गई धमकी गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। पन्नू की धमकियों और महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन को निशाना बनाने की साजिश को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा।
इस घटनाक्रम के प्रमुख पहलू:
- एनकाउंटर का विवरण:
- 23 दिसंबर, 2024 को उत्तर प्रदेश और पंजाब पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में तीन खालिस्तानी आतंकी मारे गए।
- ये आतंकी “खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स” से जुड़े थे और गुरदासपुर (पंजाब) में एक पुलिस चौकी पर हमला कर भागे थे।
- इनके पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं।
- पन्नू की धमकी:
- पन्नू ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसे शहीदों की हत्या करार दिया।
- उसने महाकुंभ (14 जनवरी, 29 जनवरी, और 3 फरवरी, 2025) के दौरान हमले की धमकी दी है।
- हिंदुत्व को आतंकवाद करार देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और भगवंत मान के खिलाफ अपशब्द कहने की कोशिशें सांप्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास हैं।
- उसने पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया।
- पुलिस की प्रतिक्रिया:
- पीलीभीत पुलिस ने पन्नू के बयान को गंभीरता से लेते हुए साइबर थाने में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
- पुलिस ने यह भी बताया कि धमकियों के संबंध में अन्य सुरागों पर काम चल रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती:
- महाकुंभ की सुरक्षा: महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाना जरूरी है।
- कड़ी निगरानी: ड्रोन, सीसीटीवी, और इंटेलिजेंस नेटवर्क का उपयोग बढ़ाना।
- अंतर्राष्ट्रीय हैंडलर्स पर कार्रवाई: पन्नू के ग्रीस, पाकिस्तान, और इंग्लैंड में मौजूद नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई।
- सांप्रदायिक शांति: पन्नू की बयानबाजी का उद्देश्य धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है। इसे विफल करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
- आतंकियों के समर्थन के खिलाफ कार्रवाई:
- SFJ जैसे संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध और उनकी फंडिंग रोकना।
- खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़े कदम।
महाकुंभ को निशाना बनाने का अर्थ:
- यह धमकी केवल धार्मिक आयोजन को प्रभावित करने की नहीं है, बल्कि देश की एकता और अखंडता पर प्रहार करने का प्रयास है।
- खालिस्तानी संगठनों के प्रति नरमी दिखाने वाले देशों पर राजनयिक दबाव बनाना भी आवश्यक है।
क्या कदम उठाए जाने चाहिए:
- सुरक्षा बलों का सशक्तीकरण:
- विशेष कमांडो टीमों की तैनाती।
- खुफिया एजेंसियों और राज्यों के बीच समन्वय।
- सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना:
- धार्मिक और सामाजिक संगठनों को शामिल कर शांति का संदेश फैलाना।
- पन्नू और SFJ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई:
- पन्नू की धमकियों को गंभीरता से लेते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके प्रत्यर्पण के लिए दबाव बनाना।
- SFJ की फंडिंग और प्रचार पर रोक।
- जनता की भागीदारी:
- नागरिकों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत देने के लिए प्रेरित करना।
पन्नू की धमकियां भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ स्पष्ट चुनौती हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इसे अत्यधिक गंभीरता से लेते हुए जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए।