मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले और टिप्पणियों ने भारत में मजहबी आतंकवाद की गंभीरता और इसके खतरनाक प्रभावों पर प्रकाश डाला है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि मजहबी आतंकवाद न केवल धर्म की मूल शिक्षाओं को विकृत करता है, बल्कि समाज के लिए भी घातक साबित होता है।
मामले का सारांश:
- आरोपी का नाम और गतिविधियाँ:
- आरोपी मोहम्मद शाहिद खान ISIS और जाकिर नाइक से प्रभावित था।
- उसने अपने साथियों के साथ मिलकर भारत में इस्लामी राज स्थापित करने की साजिश रची।
- इन आतंकियों का उद्देश्य जबलपुर हथियार फैक्ट्री पर हमला करके हथियार लूटना और भारत में शरीयत लागू करना था।
- वे हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए भी अभियान चला रहे थे।
- NIA की कार्रवाई:
- NIA ने मई 2023 में शाहिद खान और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार किया।
- जाँच में उनके ISIS के झुकाव और आतंकवादी योजनाओं का खुलासा हुआ।
- ये लोग COVID-19 लॉकडाउन के दौरान जाकिर नाइक के वीडियो और ISIS से संबंधित सामग्री देखते थे, जो उनकी कट्टर सोच को और मजबूत करती गई।
- कोर्ट की टिप्पणी:
- जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने कहा कि मजहबी आतंकवाद एक गंभीर त्रासदी है और यह धर्म की वास्तविक शिक्षाओं के विपरीत है।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि आतंकवाद से जुड़े मामलों में किसी तरह की दया नहीं दिखाई जा सकती।
महत्वपूर्ण सीख:
यह मामला इस बात का प्रमाण है कि मजहबी कट्टरता और आतंकवाद की विचारधारा न केवल समाज के लिए हानिकारक है, बल्कि इसे जड़ से खत्म करना अनिवार्य है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों और न्यायपालिका की सतर्कता ने इस खतरनाक साजिश को नाकाम कर दिया, जो देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
सरकार और समाज की भूमिका:
- ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई और सजगता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
- धार्मिक कट्टरता और आतंकवादी संगठनों के प्रसार को रोकने के लिए कानूनों को और मजबूत करना चाहिए।
- समाज को जागरूक करने और युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से बचाने के लिए शिक्षाप्रणाली और परिवारों की भूमिका अहम है।