संभल के शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर को लेकर चल रहे विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह आदेश शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।
हाईकोर्ट का आदेश:
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की है।
- सभी पक्षों को चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
- मस्जिद कमेटी को पक्षकारों के जवाब पर दो हफ्ते में प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा।
- इस आदेश से मुस्लिम पक्ष को अस्थायी राहत मिली है।
मुकदमे की पृष्ठभूमि:
- 19 नवंबर: हिंदू पक्षकार हरिशंकर जैन और अन्य ने संभल की जिला अदालत में मुकदमा दायर किया।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण मुगल काल में उस स्थान पर किया गया था, जहां पहले हरिहर मंदिर था।
- जिला अदालत ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया, जिसके बाद 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी।
- पथराव और आगजनी में चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया था कि पूजा स्थलों के सर्वेक्षण की मांग करने वाले नए मुकदमों पर सुनवाई न करें।
- मुस्लिम पक्ष ने इसी आदेश की प्रति हाईकोर्ट में पेश की।
मुस्लिम पक्ष की दलील:
- मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद का इतिहास और इसके अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले दावे बेबुनियाद हैं।
- मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील शकील अहमद वारी ने अदालत में पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया।
आगे का घटनाक्रम:
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी।
- जिला अदालत के आदेशों की समीक्षा के बाद मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
संभल का यह विवाद पूजा स्थलों की संवेदनशीलता और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की चुनौती को दर्शाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला अस्थायी राहत प्रदान करता है, लेकिन यह मामला सांप्रदायिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश और हाईकोर्ट की आगे की कार्यवाही इस विवाद के समाधान में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।