प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां चरम पर हैं, जो 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। यह महाकुंभ 12 साल में एक बार होता है, और इस बार इस आयोजन में 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद जताई जा रही है। 14 जनवरी को पहला शाही स्नान होगा, और इसके साथ ही शंकर महादेवन, कैलाश खेर, और मोहित चौहान जैसे बॉलीवुड सिंगर्स की आवाज़ से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
महाकुंभ में विभिन्न कलाकारों का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां शंकर महादेवन से लेकर कैलाश खेर और मोहित चौहान जैसे प्रतिष्ठित गायक अपनी आवाज़ का जादू बिखेरेंगे। संस्कृति मंत्रालय ने पूरी कलाकारों की लिस्ट जारी की है, जिसमें प्रमुख नाम हैं:
- शंकर महादेवन: पहले दिन की शुरुआत उनके प्रदर्शन से होगी।
- कैलाश खेर, शान मुखर्जी, हरिहरन, कविता कृष्णमूर्ति, मालिनी अवस्थी जैसे कई अन्य कलाकार कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देंगे।
कार्यक्रम का समापन मोहित चौहान के संगीत से होगा। इस आयोजन का उद्देश्य भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक वातावरण तैयार करना है।
सुरक्षा व्यवस्था
महाकुंभ के आयोजन के दौरान सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रशासन ने 125 एम्बुलेंस और 7 नदी एम्बुलेंस तैनात की हैं, जो आपातकालीन स्थिति में बुनियादी जीवन समर्थन प्रदान करेंगी। इसके अतिरिक्त, 7-लेयर सुरक्षा योजना लागू की गई है, जिसमें 2700 कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की जाएगी। सुरक्षा बलों द्वारा एआई-सक्षम कैमरे लगाए गए हैं, जो सुरक्षा में मदद करेंगे।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), प्रयागराज तरुण गाबा ने बताया कि केंद्र और राज्य एजेंसियों के समन्वय से सुरक्षा को सख्त किया जाएगा ताकि महाकुंभ की सफलता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
महाकुंभ की महिमा
महाकुंभ का आयोजन संगम के तट पर होता है, जहां श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक अवसर है, जिसे मोक्ष और पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए मान्यता दी जाती है। महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को होगा।
महाकुंभ स्नान तिथियां
- 14 जनवरी (मकर संक्रांति)
- 29 जनवरी (मौनी अमावस्या)
- 3 फरवरी (बसंत पंचमी)
महाकुंभ 2025 निश्चित ही एक भव्य और आध्यात्मिक अनुभव बनने जा रहा है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा से संबंधित तमाम पहलुओं पर ध्यान दिया गया है।