महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र अनुष्ठान है, जिसे आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। इस आयोजन का महत्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय है। महाकुंभ 2025 प्रयागराज में संगम किनारे आयोजित हो रहा है, जहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होंगे। महाकुंभ के कुछ विशेष पहलुओं और रबड़ी बाबा जैसे अनूठे व्यक्तित्व की चर्चा ने इसे और भी आकर्षक बना दिया है।
महाकुंभ 2025 की विशेषताएं:
- समय और स्थान:
- महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है।
- यह आयोजन इस बार प्रयागराज के पवित्र संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन स्थल) पर हो रहा है।
- शाही स्नान का महत्व:
- महाकुंभ में शाही स्नान को विशेष महत्व दिया गया है।
- 2025 के महाकुंभ में तीन प्रमुख शाही स्नान की तिथियां:
- 14 जनवरी (मकर संक्रांति)
- 29 जनवरी (मौनी अमावस्या)
- 3 फरवरी (बसंत पंचमी)
- आस्था और धार्मिक मान्यता:
- संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- साधु-संतों, नागा बाबाओं और विभिन्न अखाड़ों का समागम महाकुंभ की शोभा बढ़ाता है।
#WATCH | Prayagraj, UP | Rabri Wale Baba prepares and distributes Rabri at Mahakumbh 2025.
He says, "… Thousands of people are savouring this Rabri… I got this idea in 2019 and due to the blessings of people, I became Shri Mahant of the Akhara… This rabri is first offered… pic.twitter.com/eBugx4TG9g
— ANI (@ANI) January 10, 2025
रबड़ी बाबा की अनूठी सेवा:
- कौन हैं रबड़ी बाबा:
- श्री महंत देवगिरि (श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी) “रबड़ी बाबा” के नाम से प्रसिद्ध हैं।
- वह महाकुंभ में श्रद्धालुओं को अपने हाथों से बनाई गई मलाईदार रबड़ी प्रसाद के रूप में परोसते हैं।
- रबड़ी बनाने की प्रक्रिया:
- बाबा हर दिन सुबह 8 बजे रबड़ी तैयार करते हैं।
- सबसे पहले इसका भोग कपिल मुनि और अन्य देवताओं को अर्पित किया जाता है।
- इसके बाद इसे श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।
- प्रेरणा और उद्देश्य:
- बाबा को यह विचार 2019 में आया और तब से वे इस सेवा को नियमित रूप से कर रहे हैं।
- उन्होंने इसे देवी महाकाली के आशीर्वाद से प्रेरित दिव्य कार्य बताया है।
- उनका कहना है कि यह सेवा पब्लिसिटी स्टंट नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का माध्यम है।
- प्रसाद का महत्व:
- बाबा की बनाई रबड़ी को श्रद्धालुओं द्वारा अत्यधिक सराहा जा रहा है।
- यह रबड़ी भक्तों के बीच मिठास और आनंद का प्रतीक बन गई है।
#WATCH | Prayagraj, UP | Rabri Wale Baba prepares and distributes Rabri at Mahakumbh 2025. pic.twitter.com/QF6r4AYNm3
— ANI (@ANI) January 10, 2025
महाकुंभ का सांस्कृतिक महत्व:
- महाकुंभ न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समागम का भी प्रतीक है।
- साधु-संतों और श्रद्धालुओं के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
- संगम की धरती पर नागा, अघोरी, और विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का आगमन इसे और भी दिव्य बनाता है।
रबड़ी बाबा की सेवा और महाकुंभ की दिव्यता दोनों ही इस आयोजन को अद्वितीय बनाते हैं। बाबा के आशीर्वाद स्वरूप रबड़ी का प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अनुभव है। महाकुंभ में हर किसी का स्वागत है, जहां आस्था, सेवा, और आनंद का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा।