भारत में 2026 में आयोजित होने वाला राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों का 28वां सम्मेलन (CSPOC) न केवल संसदीय प्रक्रियाओं में आधुनिक तकनीक के उपयोग को उजागर करेगा, बल्कि वैश्विक लोकतांत्रिक संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा यह घोषणा ग्वेर्नसे में CSPOC की स्थायी समिति की बैठक के दौरान की गई।
सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
- प्रमुख विषय:
- संसदों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): संसदीय प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए AI का उपयोग।
- सोशल मीडिया: संसदों के कामकाज और जनसंपर्क में इसकी भूमिका और चुनौतियां।
- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की टिप्पणी:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में हुए विकास पर प्रकाश डाला।
- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में संसदों की भूमिका को रेखांकित किया।
- सांसदों की लोकतांत्रिक, विकासात्मक और कल्याणकारी भूमिका को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- भारत की वैश्विक स्थिति:
- दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का स्थान।
- स्टार्टअप हब के रूप में भारत का उभरना।
- सम्मेलन का महत्व:
- यह सम्मेलन भारत को वैश्विक लोकतांत्रिक नेतृत्व में अपनी भूमिका को मजबूत करने का अवसर देगा।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सोशल मीडिया जैसे आधुनिक विषयों पर चर्चा करते हुए, यह भविष्य की संसदीय प्रक्रियाओं को परिभाषित करने में मदद करेगा।
ओम बिरला की आधिकारिक यात्रा:
- स्थान: यूनाइटेड किंगडम (यूके), स्कॉटलैंड और ग्वेर्नसे।
- समय: 7-11 जनवरी 2025।
- महत्वपूर्ण गतिविधियां:
- CSPOC स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता।
- भारत में आगामी सम्मेलन के लिए राष्ट्रमंडल देशों के पीठासीन अधिकारियों को निमंत्रण।
भारत की मेजबानी की अहमियत:
भारत की मेजबानी में यह सम्मेलन देश की वैश्विक साख को और बढ़ाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सोशल मीडिया जैसे आधुनिक विषयों पर चर्चा से भारत संसदीय प्रक्रियाओं में नवाचार के लिए मार्गदर्शक बन सकता है। यह आयोजन न केवल राष्ट्रमंडल देशों के बीच लोकतांत्रिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक निर्णय लेने के लिए एक प्रभावी मंच भी प्रदान करेगा।