उत्तराखंड और आइसलैंड की प्रतिष्ठित कंपनी वर्किस कंसलटिंग इंजीनियर्स के बीच हुआ यह समझौता राज्य में भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) के विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
मुख्य बिंदु:
- भूतापीय ऊर्जा का विकास:
- उत्तराखंड में 40 स्थानों पर भूतापीय ऊर्जा के दोहन की संभावना है।
- इन स्थानों को भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने चिन्हित किया है।
- वर्किस कंसलटिंग इंजीनियर्स की तकनीकी विशेषज्ञता से इन स्थलों का अन्वेषण और विकास कुशलतापूर्वक किया जाएगा।
- राज्य के लिए लाभ:
- यह परियोजना उत्तराखंड को स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी।
- परियोजना की प्रारंभिक लागत का वहन आइसलैंड सरकार द्वारा किया जाएगा, जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
- पर्यावरणीय सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित होगा।
- आइसलैंड का सहयोग:
- आइसलैंड, जो भूतापीय ऊर्जा के उपयोग में अग्रणी है, अपने तकनीकी अनुभव और विशेषज्ञता को उत्तराखंड के साथ साझा करेगा।
- वर्किस कंसलटिंग इंजीनियर्स जैसी कंपनी का सहयोग राज्य के ऊर्जा क्षेत्र को एक नई दिशा देगा।
- केंद्रीय मंजूरी:
- इस परियोजना के लिए भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, और विदेश मंत्रालय से अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
- इससे परियोजना के क्रियान्वयन में तेजी आएगी।
- स्थानीय और राष्ट्रीय महत्व:
- उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य में भूतापीय ऊर्जा का उपयोग पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देगा।
- इससे राज्य की ऊर्जा निर्भरता में कमी आएगी और नौकरी के अवसर उत्पन्न होंगे।
- समारोह में उपस्थिति:
- समझौते के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आइसलैंड के राजदूत डॉ. बेनेडिक्ट हॉस्कुलसन की वर्चुअल उपस्थिति रही।
- राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और वर्किस कंसलटिंग इंजीनियर्स के प्रतिनिधियों ने भी समारोह में भाग लिया।
भविष्य की संभावनाएं:
यह समझौता उत्तराखंड को स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
- भूतापीय ऊर्जा से न केवल पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि यह औद्योगिक और आवासीय ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करने में मददगार होगी।
- परियोजना का सफल क्रियान्वयन स्थानीय विकास और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
आइसलैंड और उत्तराखंड के बीच हुआ यह समझौता अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह परियोजना राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।